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सूर्यकुमार यादव और संजू सैमसन को बांग्लादेश वनडे सीरीज में नहीं मिला मौका, BCCI पर लगा गंभीर आरोप

  बांग्लादेश के खिलाफ वनडे सीरीज के लिए भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) द्वारा टीम इंडिया का ऐलान हो चुका है। भारत और बांग्लादेश (India vs Bangladesh) के बीच एकदिवसीय श्रृंखला की शुरुआत 4 दिसंबर से हो जाएगी। इस सीरीज में इनफॉर्म बल्लेबाज सूर्यकुमार यादव और संजू सैमसन को टीम में शामिल नहीं किया गया है। जिसके बाद लोगों ने बीसीसीआई पर जातिवाद का आरोप लगाना शुरू कर दिया है। ट्विटर पर #CastistBCCI ट्रेंडिग में है। 
 इस हैशटैग पर अब तक 40000 से अधिक लोग पोस्ट कर चुके हैं। सभी प्रशंसको के आरोप है कि BCCI जाति के अनुसार टीमों का ऐलान करती है। इसके अलावा ऋषभ पंत के टीम में होने से लोगों ने नाराजगी जताई है। कई लोगों का मानना है कि पंत को लगातार इतने मौके क्यों दिए जा रहे हैं। बाएं हाथ के बल्लेबाज पिछले कुछ समय से अपनी खराब फॉर्म से जूझते नजर आ रहे हैं। T20 वर्ल्ड कप से न्यूजीलैंड के खिलाफ T20 सीरीज तक पंत कुछ खास नहीं कर सके हैं। इसके बावजूद 23 वर्षीय पंत को बांग्लादेश के खिलाफ वनडे सीरीज में मौका दिया गया है। 

ऋषभ पंत की तुलना में संजू सैमसन मजबूत- 


   प्रशंसकों के मुताबिक पंत की तुलना में संजू सैमसन अधिक फायदेमंद साबित हो सकते हैं। T20 क्रिकेट में पंत ने अपनी खराब बल्लेबाजी से सभी को निराश किया है। वहीं, वनडे के प्रदर्शन की बात करें तो उन्होंने अभी तक 27 मुकाबले खेले हैं जिसमें 36.52 की औसत से 840 रन बनाए हैं। संजू सैमसन की बात करें तो 10 वनडे मुकाबलों में 73.50 के औसत से 294 रन बना चुके है। 

सूर्यकुमार यादव को बाहर करने पर लगा दी लताड़-

  भारतीय टीम के आक्रामक बल्लेबाज सूर्यकुमार यादव को बीसीसीआई ने बांग्लादेश के खिलाफ वनडे सीरीज में आराम दिया गया है। लेकिन फैंस का तर्क कुछ और ही कहता है। फैंस का मानना है कि उन्हें काफी देरी से मौके दिए गए इसलिए उन्हें ज्यादा से ज्यादा मुकाबलों में खिलाना चाहिए। BCCI के मुताबिक स्काई जुलाई से लगातार क्रिकेट खेल रहे हैं इसलिए उन्हें आराम दिया गया है। उन्होंने T20 वर्ल्ड कप से लेकर न्यूजीलैंड के खिलाफ T20 सीरीज तक लगातार तारीफ के लायक प्रदर्शन किया है।

राजस्थान के बाद अन्य राज्यों में भी पुरानी पेंशन योजना शुरू करने की घोषणा, ये हैं वो राज्य जहाँ पहल हुई शुरू

     राजस्थान सरकार ने गत बुधवार को विधानसभा में बजट पेश करते हुए पुरानी पेंशन योजना लागू करने की घोषणा के बाद अब अन्य राज्यों में भी यह मुद्दा उठने लगा है। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने यह कदम प्रदेश के करीब साढ़े सात लाख सरकारी कर्मचारियों को खुश करने के लिए उठाया था। क्योंकि अगले वर्ष विधानसभा चुनाव होने हैं।


     वर्तमान में उत्तर प्रदेश और पंजाब के चुनाव में भी यह मुद्दा उठ रहा है। वहीं, गैर भाजपा शासित छत्तीसगढ़ में भी सरकार ने पुरानी पेंशन योजना लागू करने की घोषणा कर दी है। इससे राज्य के कर्मचारियों की उम्मीदें बढ़ गई है। वहीं, उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और सपा प्रमुख अखिलेश ने भी सत्ता में आने पर योजना को फिर से शुरू करने की बात कही है।

     पंजाब में शिअद (ब) ने किया वादा : शरोमणि अकाली दल (बादल) ने अपने चुनाव घोषणापत्र में सरकारी कर्मचारियों से वादा किया है उनकी पार्टी सत्ता में आई तो 2004 के बाद बंद हुई पेंशन योजना को फिर से शुरू किया जाएगा। यह योजना कैप्टन अमरिंदर सिंह के 2002-07 के कार्यकाल में बंद हो गई थी। पंजाब में इस समय कंट्रीब्यूटरी पेंशन सिस्टम (CPS) लागू है। जितना पैसा सरकारी कर्मचारी का कटता है उतना ही सरकार अपना अशंदान देकर उसके पेंशन फंड में जमा करवाती है। सुखबीर बादल ने घोषणापत्र जारी करते हुए वादा किया था कि उनकी सरकार बनने पर पेंशन के पुराने सिस्टम को बहाल किया जाएगा।


    छत्तीसगढ़ में भी लागू होगी पुरानी पेंशन योजना : छत्तीसगढ़ में भी सरकारी कर्मचारियों की पुरानी पेंशन योजना लागू हो सकती है। इसी महीने हुई कैबिनेट की बैठक में इस पर मंथन के बाद वित्त विभाग को अध्ययन रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कहा गया है।

👉छत्तीसगढ़, झारखंड और पंजाब में भी शुरू हुई चर्चा

👉पंजाब में शिअद बादल ने चुनाव घोषणा पत्र में किया शामिल 

बडी खबर-इंचार्ज पद पर तैनात बेसिक शिक्षकों को एरियर का भुगतान

    आज़ इंचार्ज हेडमास्टर की याचिका में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में योजित कंटेम्प्ट केस में बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा कोर्ट के आदेश...