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अगर देते हैं कार्यक्रम के लिए विद्यालय की चाबी, तो हो जाइए सावधान !


      अलीगढ़। सीडीओ आकांक्षा राना ने शुक्रवार को ब्लॉक जवां के ओडीएफ प्लस घोषित साथा गांव का निरीक्षण किया। यहां के प्राथमिक विद्यालय साथा में तेरहवीं का कार्यक्रम हो रहा था। इस पर सीडीओ ने प्रभारी प्रधानाध्यापक शिव कुमार शर्मा को निलंबित करने के लिए बीएसए को निर्देशित किया । जिला पंचायत राज अधिकारी को प्रधान के विरूद्ध कार्रवाई के निर्देश दिए गए।



     स्कूल में 58 विद्यार्थी मिले, बृहस्पतिवार को 116 छात्र आए थे। रसोईया सरोज देवी ने बताया कि रोजाना लगभग 60 बच्चों का भोजन बनता है। इस पर सीडीओ ने कहा कि प्रतीत होता है कि मध्यान्ह भोजन में फर्जी उपस्थिति दर्ज की जा रही है। विद्यालय को प्राप्त कंपोजिस्ट ग्रांट में वित्तीय अनियमितता मिली। विद्यालय परिसर में पांच पेड़ काटे गये हैं। NPELG कक्ष में निर्मित पुस्तकालय भी संचालित नहीं मिला।


     ऐसा अक्सर देखने को मिलता है कि गांव वालों तथा ग्राम प्रधान के दबाव में आकर प्रधानाध्यापक विद्यालय में कार्यक्रम की अनुमति दे देते हैं और अगर किसी अधिकारी की जांच हो जाती है को कार्यवाही का सामना भी करना पड़ता है।


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क्या हुआ शिक्षकों के पहचान पत्र (I-card) के पैसे का?

       

          कोरोना काल के दौरान विभाग द्वारा सभी शिक्षकों के लिए पहचान पत्र (I-card) बनाने के लिए धन आवंटित किया गया था। प्रति शिक्षक ₹50 के दर से धन आवंटित किया गया था। उस दौरान अधिकतर काम ऑनलाइन हो रहे थे तो शिक्षकों से ऑनलाइन फोटो और डाटा मांगा गया था और अधिकतर शिक्षकों ने दिया भी था। परंतु मात्र कुछ ही शिक्षकों का पहचान पत्र बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा जारी किया गया। बाकी के शिक्षकों का पहचान पत्र आजतक न तो बन पाया और न ही उसके लिए आवंटित पैसों का कुछ अता पता है।



         इतने वर्ष गुजर जाने के बाद भी अधिकारियों ने एक बार भी सुध नहीं ली। ऐसे में जब कहीं अन्य जगह बेसिक के शिक्षकों को ड्यूटी लगती है तो हर बार उनको खंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय से टेंपरेरी पहचान पत्र बनवाना पड़ता है। और कई बार अपने शिक्षक होने का प्रमाण देने के लिए ज्वाइनिंग लेटर दिखाना पड़ता है, जिससे शिक्षकों को काफी परेशानी होती है।


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मेहनती शिक्षक: एक अनूठी कहानी

      शिक्षकों का कार्यक्षेत्र एक ऐसा क्षेत्र है जो मेहनत, समर्पण, और उत्साह का खेत है। इसमें से एक शिक्षक है जो अपने उदाहरणीय मेहनत और संघर्ष के लिए जाने जाते हैं, और उनका यह कार्यक्षेत्र उन्हें एक अद्वितीय व्यक्ति बनाता है।


     श्रीमान राजेश शर्मा, जो एक उच्चतम स्तर के विद्यालय में गणित के शिक्षक के रूप में कार्यरत हैं, वे अपनी अनूठी मेहनत और शिक्षा के प्रति अपने अदम्य समर्पण के लिए पहचाने जाते हैं।


     राजेश शर्मा का सफर शुरू हुआ एक साधारित गाँव से, जहां उनके परिवार ने गरीबी के बावजूद उन्हें शिक्षा के महत्व को समझाया। राजेश ने अपनी पढ़ाई को सराहनीय स्तर पर पूरा किया और गणित में अपनी रुचि को बढ़ाते हुए उन्होंने अपने लक्ष्य का पीछा किया।


     इसके बाद, उन्होंने अध्यापन में अपनी कदम रखी और एक उच्चतम स्तर के विद्यालय में गणित के शिक्षक के रूप में अपनी करियर की शुरुआत की। राजेश शर्मा की मेहनत और उनके विद्यार्थियों के प्रति उनका समर्पण ने उन्हें एक अनूठे शिक्षक के रूप में उच्च मानक हासिल करने में सफल बना दिया।


     राजेश शर्मा की शिक्षा के प्रति उनका विशेष दृष्टिकोण है। वे सिर्फ पाठ पढ़ाने वाले नहीं हैं, बल्कि वे अपने छात्रों को गणित की दुनिया में रुचि बढ़ाने के लिए प्रेरित करते हैं। उनकी पाठशाला उन्हें सिर्फ गणित के सिद्धांतों को सिखाने का स्थान नहीं है, बल्कि यह एक स्थान है जहां राजेश छात्रों को अच्छे नागरिक बनने के लिए भी प्रेरित करते हैं।


     राजेश शर्मा का एक और विशेषता यह है कि वे अपने छात्रों के साथ संवाद बनाए रखते हैं। उनकी पाठशाला में छात्रों का सकारात्मक योगदान है और उन्हें सुनने और समझने का मौका मिलता है। इससे राजेश न केवल गणित के विषय में उनके छात्रों के साथ संबंध बना सकते हैं, बल्कि उन्हें उनके जीवन के सभी पहलुओं में मार्गदर्शन करने में भी सहारा मिलता है। राजेश शर्मा का यह संवादप्रिय दृष्टिकोण उनके छात्रों को अपनी बातें साझा करने और समस्याओं का समाधान ढूंढ़ने के लिए प्रेरित करता है, जिससे उनका शिक्षा में सकारात्मक परिणाम होता है।


     एक दिन, राजेश शर्मा ने अपने छात्रों को गणित के अलावा भी जीवन के महत्वपूर्ण सिख सिखाने का निर्णय लिया। उन्होंने एक उदाहरण दिया और कहा, "गणित केवल कक्षा में ही नहीं, बल्कि हमारे जीवन में भी एक तरह का सिद्धांत है। समस्याएं हमारे सामने आती हैं, लेकिन हमें उन्हें हल करने का तरीका सीखना है।"



     इस प्रेरक कथन ने छात्रों की सोच में बदलाव लाया। उन्होंने गणित के माध्यम से समस्याओं का समाधान निकालने की कला सिखाई और इसे उनके जीवन में अपनाने की प्रेरणा दी।


      राजेश शर्मा का यह महत्वपूर्ण सिद्धांत छात्रों को जीवन के हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने के लिए प्रेरित करता है। उनका उदार मानवीय दृष्टिकोण और मेहनत करने की भावना उनके छात्रों को अद्वितीय बनाता है।


      राजेश शर्मा का यह अनूठा तात्कालिक शिक्षक बनने का अहसास उनके छात्रों को भी स्वीकार्य हो गया है। उनके विद्यार्थी उन्हें गुरु और मार्गदर्शक के रूप में नहीं, बल्कि एक सहयोगी और मित्र के रूप में भी देखते हैं।


       इस अनूठे शिक्षक की मेहनत ने उन्हें उच्चतम स्तर की शिक्षा प्रदान करने में सफलता दिलाई है। राजेश शर्मा ने अपने छात्रों को बस गणित के सिद्धांतों से ही नहीं, बल्कि जीवन के अद्वितीय पहलुओं से भी रूबरू कराया है।


       उनकी मेहनत और समर्पण ने उन्हें शिक्षा के क्षेत्र में एक उत्कृष्ट शिक्षक बना दिया है, जिससे उन्हें समाज में एक महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त होता है। राजेश शर्मा की अनूठी शिक्षा की प्रणाली ने उनके छात्रों को न केवल गणित में अच्छे परिणाम प्रदान किए हैं, बल्कि उन्हें जीवन के हर क्षेत्र में सफल बनने के लिए भी तैयार किया है।

       राजेश शर्मा की यह अनूठी शिक्षा का सफलता सूत्र है, जो उनके छात्रों को सिर्फ विद्या का ज्ञान नहीं, बल्कि जीवन के मूल्यों और सीखों को समझने का भी मौका देती है।


       राजेश शर्मा का यह महत्वपूर्ण संदेश है कि शिक्षक का कार्यक्षेत्र सिर्फ पाठ पढ़ाने का ही नहीं, बल्कि छात्रों को जीवन के साथ में जोड़ने और सुझाव देने का भी है। उनकी मेहनत और उनका समर्पण छात्रों को न केवल अच्छे छात्र बनने के लिए प्रेरित करता है, बल्कि उन्हें सफल और नैतिक नागरिक बनने के लिए भी प्रेरित करता है।


       इसके अलावा, राजेश शर्मा ने अपनी पाठशाला को एक सहयोगी और साथी की भूमिका में स्थापित किया है। वह छात्रों के साथ खुले मन से बातचीत करते हैं और उन्हें अपनी दुनिया को समझने के लिए प्रेरित करते हैं। इससे उनके छात्रों को एक मित्रप्रेमी और विश्वासी शिक्षक का अहसास होता है, जिससे उनका शिक्षा में भरपूर रूप से भागीदारी होती है।


       राजेश शर्मा की यह मेहनत और समर्पण उन्हें शिक्षा के क्षेत्र में एक नेतृत्व भूमिका में स्थापित करने में सफल बना देती है। उनकी पाठशाला एक ऐसी स्थान है जहां शिक्षा को अधिकारिकता के साथ मिश्रित किया जाता है और छात्रों को अपनी रचनात्मकता को स्वीकार करने के लिए प्रेरित किया जाता है।


      इस अनूठे शिक्षक के किस्से से हमें यह सिखने को मिलता है  कि शिक्षा का मकसद सिर्फ परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त करना नहीं होता, बल्कि छात्रों को जीवन के साथ में संबंधित बनाना होता है। शिक्षक अगर मेहनत, समर्पण, और उत्साह के साथ कार्य करता है, तो छात्र भी उसी मेहनत और उत्साह के साथ अपने लक्ष्यों की प्राप्ति में सफल हो सकते हैं।

      राजेश शर्मा की मेहनत, समर्पण, और शिक्षा में उनकी अनूठी दृष्टिकोण से सजग छात्रों को तैयार करने में एक महत्वपूर्ण प्रमाण है। उनकी उदार शिक्षा ने छात्रों को सिर्फ कक्षा में ही नहीं, बल्कि उनके जीवन में भी सफल बनाने की कला सिखाई है। उनका यह मिशन निरंतर चला रहा है और उनके छात्र उन्हें गुरु और मार्गदर्शक के रूप में नहीं, बल्कि अपने जीवन के सच्चे साथी के रूप में भी मानते हैं।


        इस अनूठे शिक्षक की कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि शिक्षा का मतलब सिर्फ साक्षरता प्राप्त करना नहीं है, बल्कि यह एक ऐसी प्रक्रिया है जो हमें जीवन के हर पहलुओं में समर्थ बनाती है। राजेश शर्मा ने यहाँ तक सिखाया है कि शिक्षा का उद्देश्य सिर्फ अकादमिक सफलता प्राप्त करना नहीं होता, बल्कि यह छात्रों को समझदार, समर्पित, और सकारात्मक नागरिकों में बदलने की दिशा में भी काम करती है।


       शिक्षक की भूमिका समझाने के लिए हमें राजेश शर्मा के जैसे उदाहरणों की आवश्यकता है ताकि हम समाज में शिक्षा के प्रभाव को सही तरीके से समझ सकें। राजेश शर्मा ने अपने छात्रों को शिक्षा के माध्यम से न केवल ज्ञान प्रदान किया है, बल्कि उन्हें जीवन के मूल्यों, सिद्धांतों, और सीखों से भी अवगत कराया है।


       राजेश शर्मा की उपेक्षित शिक्षा की एक और महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि वे अपने छात्रों को सुनते हैं और उनके समस्याओं का समाधान ढूंढ़ने में सहायक होते हैं। इससे राजेश न केवल गणित के विषय में उनके छात्रों के साथ संबंध बना सकते हैं, बल्कि उन्हें उनके जीवन के सभी पहलुओं में मार्गदर्शन करने में भी सहारा मिलता है।


       राजेश शर्मा की अनूठी शिक्षा ने उन्हें शिक्षा के क्षेत्र में एक प्रशंसनीय और अनूठे शिक्षक के रूप में स्थापित किया है। उनका संघर्ष, मेहनत, और छात्रों के प्रति समर्पण ने उन्हें एक अद्वितीय स्थान प्रदान किया है, जिससे उनका प्रभाव समाज में दृढ़ है।


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शिक्षकों का निलंबन और बहाली हुआ टेढ़ी खीर, जानें क्या है नया नियम?

     बेसिक शिक्षा विभाग (U.P.Basic) में अब समुचित सबूतों और गंभीर आरोपों के आधार पर ही शिक्षकों व कर्मचारियों का निलंबन हो सकेगा। बिना दंड के बहाली भी नहीं हो सकेगी। एवं निलंबन और बहाली प्रक्रिया पर काफी हद तक बीएसए BSA की मनमानी नहीं चलेगी। इसके लिए महानिदेशक स्कूल शिक्षा ने BSA को निर्देश दिए है कि निलंबन प्रकरणों की समीक्षा कर कार्रवाई सुनिश्चित करें।



     महानिदेशक स्कूल शिक्षा कंचन वर्मा ने 6 फरवरी को सभी BSA को पत्र भेजकर निर्देशित किया है कि यदि शिक्षक व कर्मचारी पर गंभीर आरोप हों और समुचित आधार हो तभी निलंबित किया जाए। BSA की ओर से की गई अनुशासनिक कार्रवाई के विश्वेषण में संज्ञान में आया है कि निलंबन के बाद बिना किसी दंड ( दीर्घ एवं लघु दंड) अधिरोपित किए बिना बहाल कर दिया जाता है। इससे यह प्रतीत होता है कि बिना आधार के निलंबन किया जा रहा है। निलंबन उपरांत शासनादेश, निर्देश का पालन नहीं किया जा रहा है। जिससे बहाल कर दिया जाता है। यह स्थिति कदापि उचित नहीं है। निलंबन प्रकरणों की समीक्षा कर कार्रवाई करना सुनिश्चित करें।

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शिक्षकों पर हुआ हमला, मचा बवाल

    रायबरेली। अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन करने लखनऊ गए शिक्षकों की बस पर ऊंचाहार में कुछ लोगो ने पथराव कर दिया। अचानक पथराव होने से बस में अफरा तफरी मच गई। इसमें कई शिक्षकों को चोट आई। कोतवाली पहुंचे शिक्षकों ने मामले की शिकायत कीl

    यह मामला रविवार देर शाम का है। लखनऊ में शिक्षकों का प्रदर्शन था। इसमें कौशांबी जनपद से बड़ी संख्या में शिक्षक बस से प्रदेश मुख्यालय पर प्रदर्शन करने गए थे। जहां से वापस लौट रहे शिक्षकों की बस शहर मुख्यालय के पास रूकी थी, वहां पर रोडवेज बस में सवार कुछ लोगों से उनका झड़प हो गया। उसके बाद निजी बस पर सवार शिक्षक अपने गंतव्य के लिए रवाना हो गए।



    इस बीच रोडवेज बस पर सवार लोग ऊंचाहार कोतवाली क्षेत्र के सवैया तिराहा के पास पहुंचे और उन्होंने शिक्षकों की बस को रोक लिया और उस पर ताबड़तोड़ पथराव शुरू कर दिया। कुछ शिक्षकों के साथ मारपीट भी की गई। अचानक हुए हमले से परेशान शिक्षक सकते में आ गए। इस हमले में करीब सात शिक्षक घायल हो गए। इसके बाद किसी तरह जान बचाकर शिक्षक कोतवाली पहुंचे।

    मौके पर पहुंची कोतवाली पुलिस कुछ युवकों को पकड़कर कोतवाली ले आई। उसके बाद कोतवाली पुलिस ने दोनों पक्षों में समझौता करा दिया। सुलह समझौता के बाद शिक्षक कौशांबी के लिए रवाना हो गए। कोतवाल आदर्श सिंह ने बताया कि दोनों पक्षों में मामूली विवाद हुआ था, जिसके बाद दोनों ने आपस में सुलह-समझौता कर लिया है। इसलिए इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की गई है।


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क्या अब नहीं काम करेगा पेटीएम, क्या होगा खाते में पड़े पैसों का?

 नई दिल्ली। पेटीएम की बैंकिंग सेवाओं पर आरबीआई के प्रतिबंध के बाद पेटीएम पेमेंट्स बैंक बड़ी मुश्किलों में फंस सकता है एजेंसियां इसके खिलाफ मनी लॉन्ड्रंग की जांच कर सकती हैं। सूत्रों का दावा है कि पेटीएम पेमेंट्स बैंक के पास ऐसे लाखों खाते थे, जिनमें KYC (अपने ग्राहक को जानो) नहीं की गई थी। एक हजार से अधिक उपयोगकर्ताओं के खाते एक ही पैन कार्ड पर चल रहे थे।

सूत्रों का कहना है कि इन खातों के जरिये पेटीएम पेमेंटस बैंक में सैकड़ों करोड़ रुपये के संदिग्ध लेनदेन का पता चला है। RBI ने इसी आधार पर शिकंजा कसा है। राजस्व सचिव संजय मल्होत्रा का कहना है, पेटीएम पेमेंट्स बैंक में मनी लॉन्ड्रिंग की आशंका है। यदि फंड की हेराफेरी का कोई नया आरोप सामने आया, तो कंपनी के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय जांच करेगा ।

RBI ने Paytm पर 20 जून, 2018 से कोई भी नया खाता और वॉलेट खोलने पर प्रतिबंध लगा दिया था। हालांकि, दिसंबर, 2018 में प्रतिबंध हटा लिया गया था। इसके बाद भी कंपनी में अनियमितता ओं की जानकारी आती रही। RBI और ऑडिटर्स दोनों की जांच में पाया गया कि नियमों का पालन नहीं हो रहा है। गौरतलब है कि पेटीएम पेमेंट्स बैंक के पास करीब 35 करोड़ ई-वॉलेट हैं। इनमें से करीब 31 करोड़ निष्क्रिय हैं। लाखों खातो में KYC अपडेट नहीं है।



पेटीएम चलेगा, पर बैंक नहीं–

आरबीआई के सारे प्रतिबंध पेटीएम पेमेंट्स बैंक पर हैं। इसलिए, पेटीएम (Paytm QR, बीमा, कर्ज वितरण, साउंडबॉक्स और कार्ड मशीन आदि) पर इसका असर नहीं होगा। पेमेंट्स बैंक से जो भी कारोबार जुड़े हैं, वही प्रभावित होंगे।

दूसरे भुगतान एप काइस्तेमाल करें कारोबारी–

कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स के राष्ट्रीय महासचिव प्रवीन खंडेलवाल ने कहा, वित्तीय दिक्कतों से बचने के लिए व्यापारी लेनदेन के लिए पेटीएम के जगह अन्य भुगतान प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करें तो बेहतर होगा।

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वायरल खबर के संबंध में विवेकानंद आर्य का आया स्पष्टीकरण

      वायरल हो रहे के खबर के संबंध में TSCT के अध्यक्ष विवेकानंद आर्य का स्पष्टीकरण आ गया है। जिसमें उन्होंने बताया कि यह आरोप एकदम ही निराधार है और राजनैतिक खेला करने के लिए लगाया गया है। उन्होंने यह भी बताया कि श्रद्धांजलि समारोह जिला टीम अपने स्तर से करती है और इस हेतु किसी से कोई पैसे नहीं मांगे गए। बल्कि कुछ परिवारों ने इस हेतु स्वयं आगे आ कर सहयोग किया था, परंतु उनकी भी धनराशि लौटा दी गई है क्योंकि इसका खर्च जिला स्तर की टीम खुद ही उठाना चाहती थी। महिला द्वारा लगाया गया आरोप पूर्ण रूप से गलत है।




       इस संबंध में अन्य दिवंगत शिक्षकों के स्वजनों का वीडियो भी डाला गया है जिसमे उन्होंने पैसे मांगे जाने के आरोप को गलत बताया है। और साथ ही एक दिवंगत शिक्षक की पत्नी का मैसेज भी डाला गया है जिसमे उन्होंने आरोप को गलत बताया है। ऐसे में सही कौन और गलत कौन इसको लेकर शिक्षकों में उहापोह की स्थिति बनी हुई है।


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TSCT पर लगा धन उगाही का आरोप, जाने क्या है पूरा मामला।

      बरेली। दिवंगत शिक्षकों के स्वजन को सम्मानित करने और उनकी मदद करने के नाम पर कार्यक्रम किया गया, जिसके लिए दिवंगत शिक्षकों के स्वजन से भी कसूल कर ली गई। शिक्षकों को जानकारी होने पर मामला तूल पकड़ने लगा। बाद में दिवंगत शिक्षकों के  स्वजनों को धनराशि लौटा दी गई। हालांकि श्रद्धांजलि सभा करने वाले शिक्षकों ने कहा कि उन लोगों ने संगठन से दिवंगत शिक्षकों के स्वजनों को 55-55 लाख रुपए की सहयोग राशि भी दिलाई है।

     स्मार्ट सिटी के ऑडिटोरियम में टीचर्स सेल्फ केयर टीम बरेली की 28 जनवरी को शिक्षक संगोष्ठी एवं श्रद्धांजलि सभा हुई थी । जिसमें दिवंगत शिक्षक रतन गंगवार, सत्यप्रकाश गंगवार, प्रभात, सुरेश पाल, हरीश गंगवार को जनप्रतिनिधियों, अधिकारियों तथा शिक्षकों ने श्रद्धांजलि अर्पित की थी। जिसकी बाद दिवंगत चार शिक्षकों के स्वजनों को 55-55 लाख की धनराशि दिलाई गई। लेकिन इस हेतु दिवंगत शिक्षकों के स्वजनों से 50-50 हजार रुपए की वसूली की गई।



     जिससे नाराज दिवंगत शिक्षक की पत्नी ने व्हाट्सएप ग्रुप पर अपनी नाराजगी जताई तथा इससे संबंधित ऑडियो भी वायरल किए। यह भी बताया गया कि दी गई राशि को बीमा व एफडी कराने पर भी जोर डाला जा रहा। संगठन पर आरोप लगाने पर टीएससीटी की राष्ट्रीय अध्यक्ष विवेकानंद आर्य ने बरेली कार्यकारणी को धनराशि लौटने के निर्देश दिए।


     इस मामले को अन्य शिक्षक संगठनों ने गलत बताया। वहीं अन्य शिक्षकों में रोष की स्थिति बनी हुई है। सभी लोग इस बात से परेशान है कि अगर इस तरह से धन उगाही की जा रही है तो एक तो यह गलत है ऊपर से उसका विरोध करने पर धन वापस लेने की भी धमकी भी दी जा रही, जो नाकाबिल ए बर्दाश्त है। लोगों का कहना है कि विवेकानंद आर्य को इस मामले की जांच कर दोषियों को निष्कासित करने की जगह सहयोग राशि वापस लेने वाली बात उनके ऊपर भी प्रश्न खड़ा करती है। ऐसे में TSCT से लोगों का भरोसा खत्म हो सकता है और लोग नहीं चाहते कि शिक्षक हित वाली इस संस्था से लोगों का भरोसा उठे।


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शिक्षामित्रों को लेकर चुनावी खेल शुरू, क्या होगा सरकार का अगला कदम?

     लखनऊ : शिक्षामित्रों को एक बार और अपने मूल विद्यालय में वापसी का मौका मिलेगा। राज्य सरकार जल्द शिक्षामित्रों की यह पुरानी मांग पूरा करने जा रही है। प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा ने इसके लिए विभाग से प्रस्ताव मांगा है। इससे पहले पांच साल पहले शिक्षामित्रों को मूल विद्यालय में वापसी का मौका दिया गया था। स्कूलों में शिक्षकों की कमी को देखते हुए 2001 में बेसिक स्कूलों में शिक्षामित्रों की नियुक्ति की गई थी। शिक्षामित्र के पद पर स्थानीय युवक-यु्वतियों को मानदेय पर तैनात किया गया। समय -समय पर शिक्षामित्रों की नियुक्ति होती रही और मानदेय भी बढ़ा। 2014 में तत्कालीन सपा सरकार ने सहायक शिक्षक के पद पर शिक्षामित्रों का समायोजन कर उनका तबादला दूसरे ब्लॉक में कर दिया।2017 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर उनको फिर शिक्षामित्र के पद पर वापस भेज दिया गया। हालांकि, उनका तबादला वापस पुराने स्कूलों में नहीं किया गया। कम मानदेय में दूसरे ब्लॉक में जाने की समस्या आई तो सरकार ने 2018 में एक मौका दिया कि जो अपने विद्यालय में आना चाहें, वे आ सकते हैं। काफी संख्या में शिक्षामित्र वापस अपने विद्यालय में आ गए, लेकिन करीब 15 हजार शिक्षक वापस नहीं आए। इसकी वजह यह थी कि आंदोलन और दोबारा कोर्ट में मुकदमा चलने की वजह से इनको उम्मीद थी कि वे शिक्षक बन सकते हैं तब से वे दूसरे ब्लॉक में ही काम कर रहे हैं। शिक्षामित्रों के संगठन इनको वापस मूल विद्यालय में भेजने और महिला शिक्षामित्रों को मूल विद्यालय या ससुराल वाले विद्यालय में भेजने की मांग कर रहे हैं। इसे देखते हुए ही पिछले दिनों हुई बैठक में निर्णय लिया गया है कि शिक्षामित्रों को एक मौका और दिया जाएगा।




किस वजह से लिया गया यह निर्णय?

लंबे समय से यह मांग हो रही है कि जो शिक्षामित्र 2018 में अपने मूल विद्यालय में वापस नहीं आ पाए थे, उनको एक मौका और दिया जाए। अभी उनको 10 हजार रुपये मानदेय मिलता है। ऐसे में 25-30 किलोमीटर दूर दूसरे ब्लॉक में पढ़ाने जाने के लिए उनको किराया खर्च करना होता है। इस बात को सरकार ने समझा। साथ ही एक दूसरा पहलू यह भी है कि हाल में लोकसभा चुनाव भी आ रहा है। मूल विद्यालय में जाने, मानदेय बढ़ोतरी सहित कई मुद्दों को लेकर शिक्षामित्रों के संगठन आंदोलन की भी रणनीति बना रहे हैं। उससे पहले ही उनकी यह बड़ी मांग पूरी करके मरहम लगाया जा सकता है।


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शिक्षकों को बदनाम करने की तैयारी एक बार फिर, जानें क्या है मामला

 कड़ाके की ठंड के बाद स्कूल खुलते ही शिक्षा विभाग सख्ती की तैयारी में है। देर से स्कूल पहुंचने वाले शिक्षक व कम उपस्थिति वाले विद्यालयों पर कार्रवाई की जाएगी। इसे लेकर एक फरवरी से सभी परिषदीय विद्यालयों का सघन चेकिंग अभियान चलाया जाएगा। बेसिक शिक्षा अधिकारी ने इसके लिए 23 टीमें गठित कर दी है। यह टीमें एक साथ विकास खंडवार विद्यालयों का निरीक्षण करेंगी। शासन के इस नए आदेश से देर से स्कूल आने वालें शिक्षकों में हड़कंप मचा है। इसके साथ ही मदरसों की भी जांच की जाएगी। 

                    

एक फरवरी से शुरू होगा अभियान: शासन ने विद्यालय में छात्रों की उपस्थिति बढ़ाने और समय से शिक्षक विद्यालय में पहुंच रहे हैं या नहीं इसकी जांच के लिए एक फरवरी से परिषदीय स्कूलों व मदरसों की सघन चेकिंग के आदेश शासन ने दिये हैं। यह चेकिंग अभियान एक फरवरी से शुरू होगा और पूरा महीना चलेगा। अभियान के दौरान टीमों द्वारा स्कूलों व मदरसों में शिक्षकों की उपस्थिति, पंजीकृत छात्रों के सापेक्ष उपस्थिति, वहां बनाए जा रहे एमडीएम की गुणवत्ता व अन्य बिन्दुओं की जांच की जाएगी।

ब्लॉक वार चलेगा अभियान : विद्यालयों की जांच के लिए विकास खंडवार अभियान चलाया जाएगा। साथ ही सात जिला समन्वयकों की भी टीम लगाई गई है। इन टीमों को निरीक्षण के दिन ही चेक किए जाने वाले विकास खंड व विद्यालय की सूचना दी जाएगी। सभी टीमें एक साथ रवाना होंगी।

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कड़ाके की ठंड से दो और बच्चे बेहोश, जाने क्या हुआ

   एक ओर जहां मौसम विभाग ने भारी शीतलहर एवं कड़ाके की ठंड का अलर्ट जारी कर रखा है तो वहीं दूसरी तरफ स्कूल खुल जाने से बच्चे स्कूल जाने को मजबूर हैं। ठंड में बच्चे ठिठुरते हुए स्कूल पहुंच रहे हैं। बुधवार को कक्षा चार का एक छात्र और कक्षा आठ की एक छात्रा ठंड से बेहोश हो गई। उनका जिला अस्पताल में उपचार चल रहा है। 


   भदोही के प्राथमिक विद्यालय घोरहां में कक्षा चार का छात्र सोनू और कंपोजिट विद्यालय कलापुर की कक्षा आठ की छात्रा एकता वर्मा को ठंड लग गई। इससे दोनों बेहोश हो गए। बीएसए भूपेंद्र नारायण सिंह ने कहा कि बच्चों की देखरेख के लिए खंड शिक्षा अधिकारी को लगाया गया है।

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UP Socholarship कई लाख छात्रों को नहीं मिल पाएगी इस बार, जानें बड़ी खबर

   प्रत्येक वर्ष की तरह इस वर्ष भी 10 जनवरी तक उत्तर प्रदेश छात्रवृत्ति के अन्तर्गत छात्र एवं छात्राओं ने अपनी स्कॉलरशिप योजना का लाभ पाने के लिए आवेदन कर दिया होगा तो उन मेधावी छात्रों के लिए उपलब्ध स्कॉलरशिप आर्थिक रुप से कमजोर वर्ग के बच्चों के लिए इस योजना से जो पैसे मिलते है, उससे पढ़ाई मे काफी ज्यादा मदद हो जाती है। पिछली वर्ष की तरह 40 लाख छात्र एवं छात्राओं कोउत्तर प्रदेश स्कालरशिप प्रदान की गई थी।





   पिछली कोरोना काल मे बन्द पडे़ स्कूल और इस वायरस संक्रमण के चलते समूचा शिक्षा जगत परेशान था ऐसे में बहुत से राज्यों और छात्र छात्राओ को पिछली छात्रवृत्ति मिलने में बहुत कठिनाई का सामना करना पड़ा था। ऐसे में बन्द स्कूल के कारण छात्रों को अपने कागजात और जरुरी Documents की समय पर उपलब्धि न मिल पाने के कारण आवेदन स्वीकार नहीं किए गए थे।


   उत्तर प्रदेश के राजकीय सहायता प्राप्त स्थानीय निकाय के
स्कूलों में कक्षा आठ में पढ़ने वाले 15146 छात्र छात्राओं को मिलेगी स्कॉलरशिप। राष्ट्रीय आय एवं योग्यता आधारित छात्रवृत्ति योजना परीक्षा 2022-23 के लिए सोमवार से ऑनलाइन आवेदन शुरू हो गए। निदेशक मनोविज्ञानशाला उषा चंद्रा के अनुसार छात्र-छात्रा आयोग की वेबसाइट पर 15 मार्च तक आवेदन कर सकते हैं। इसके अंतर्गत देश के 1 लाख मेधावी को कक्षा 9 से 12 तक प्रति माह 1000 प्रतिवर्ष ₹12000 छात्रवृत्ति सीधे खाते में भेजी जाती है। यूपी के 15110 में छात्र एवं छात्राओं को यह छात्रवृत्ति दी जाती है। हर साल दिसंबर में इसके लिए परीक्षा भी कराई जाती है। परन्तु इस बार इसलिए नहीं हुआ क्योंकि कोरोनावायरस का प्रकोप था।


राजस्थान के बाद अन्य राज्यों में भी पुरानी पेंशन योजना शुरू करने की घोषणा, ये हैं वो राज्य जहाँ पहल हुई शुरू

     राजस्थान सरकार ने गत बुधवार को विधानसभा में बजट पेश करते हुए पुरानी पेंशन योजना लागू करने की घोषणा के बाद अब अन्य राज्यों में भी यह मुद्दा उठने लगा है। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने यह कदम प्रदेश के करीब साढ़े सात लाख सरकारी कर्मचारियों को खुश करने के लिए उठाया था। क्योंकि अगले वर्ष विधानसभा चुनाव होने हैं।


     वर्तमान में उत्तर प्रदेश और पंजाब के चुनाव में भी यह मुद्दा उठ रहा है। वहीं, गैर भाजपा शासित छत्तीसगढ़ में भी सरकार ने पुरानी पेंशन योजना लागू करने की घोषणा कर दी है। इससे राज्य के कर्मचारियों की उम्मीदें बढ़ गई है। वहीं, उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और सपा प्रमुख अखिलेश ने भी सत्ता में आने पर योजना को फिर से शुरू करने की बात कही है।

     पंजाब में शिअद (ब) ने किया वादा : शरोमणि अकाली दल (बादल) ने अपने चुनाव घोषणापत्र में सरकारी कर्मचारियों से वादा किया है उनकी पार्टी सत्ता में आई तो 2004 के बाद बंद हुई पेंशन योजना को फिर से शुरू किया जाएगा। यह योजना कैप्टन अमरिंदर सिंह के 2002-07 के कार्यकाल में बंद हो गई थी। पंजाब में इस समय कंट्रीब्यूटरी पेंशन सिस्टम (CPS) लागू है। जितना पैसा सरकारी कर्मचारी का कटता है उतना ही सरकार अपना अशंदान देकर उसके पेंशन फंड में जमा करवाती है। सुखबीर बादल ने घोषणापत्र जारी करते हुए वादा किया था कि उनकी सरकार बनने पर पेंशन के पुराने सिस्टम को बहाल किया जाएगा।


    छत्तीसगढ़ में भी लागू होगी पुरानी पेंशन योजना : छत्तीसगढ़ में भी सरकारी कर्मचारियों की पुरानी पेंशन योजना लागू हो सकती है। इसी महीने हुई कैबिनेट की बैठक में इस पर मंथन के बाद वित्त विभाग को अध्ययन रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कहा गया है।

👉छत्तीसगढ़, झारखंड और पंजाब में भी शुरू हुई चर्चा

👉पंजाब में शिअद बादल ने चुनाव घोषणा पत्र में किया शामिल 

निष्ठा FLN मॉड्यूल 10 "बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान हेतु विद्यालय नेतृत्व"

 

1 : बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान के संदर्भ में विद्यालय विकास योजना हेतु इनमें से क्या आवश्यक है?

  • प्रशासनिक कार्य
  • 3-9 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों की विकास संबंधी आवश्यकताओं की योजना बनाना
  • विद्यालय का तकनीकी उन्नयन
  • स्टाफ़ का व्यावसायिक विकास

2 : एक शिक्षाशास्त्रीय नेतृत्वकर्ता की भूमिका है।

  • बच्चों के लिए विभिन्न शैक्षणिक अभ्यासों पर शिक्षकों को प्रशिक्षित करना
  • बच्चों को अनुशासित करना
  • अभिभावक को गलत सूचना प्रदान करना
  • ग्रेड देने के क्रम में बच्चों का आकलन करना

3 : निम्नलिखित में से कौन-सा बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान का विकासात्मक लक्ष्य नहीं है?

  • बच्चों का प्रभावी पाठक बनना
  • बच्चों का प्रभावी संचारक बनना
  • बच्चों का संबद्ध विद्यार्थी बनना और तात्कालिक माहौल से जुड़ना
  • बच्चों का स्वास्थ्य और कल्याण बनाए रखना

4 : 3-9 वर्ष के आयु वर्ग के बच्चों के साथ व्यवहार करते समय एक नेतृत्वकर्ता का सही रवैया क्या होना चाहिए?

  • भेदभावपूर्ण रवैया
  • कठोर व्यवहार
  • सख्त आचरण
  • सकारात्मक और लचीली मानसिकता

5 : शिक्षाशास्त्रीय नेतृत्व विशेषज्ञता का एक व्यापक क्षेत्र है जिसमें एक नेतृत्वकर्ता के पास……. होने की आवश्यकता होती है

  • 3-9 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए उपयोगी शिक्षाशास्त्रों का गहन ज्ञान
  • 6-14 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए लेन-देन परक शिक्षाशास्त्र का ज्ञान
  • प्राथमिक कक्षा के शिक्षण विषयों की समझ
  • प्रयोगात्मक मॉडल की समझ

6 : विज़न के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सत्य नहीं है?

  • विज़न स्टेटमेंट में भविष्य के प्रयोजनों की झलक मिलनी चाहिए
  • विज़न को एक दिशा में होना चाहिए
  • भविष्य दृष्टि की कोई निर्दिष्ट समय-सीमा नहीं होती है
  • विज़न मूल्य संचालित होना चाहिए

7 : परिवर्तनकारी नेतृत्व के लिए इनमें से कौन-सा सही नहीं है?

  • एक साझी विज़न का निर्माण
  • शिक्षकों का व्यावसायिक विकास
  • वित्तीय प्रबंधन
  • शिक्षकों को प्रेरित करना

8 : विद्यालय किस प्रकार विभिन्न परिवारों को बाल शिक्षा में शामिल नहीं कर सकते हैं?

  • परिवारों के साथ जानकारी और ज़िम्मेदारी साझा करके
  • परिवारों की आवश्यकताओं को संबोधित करके
  • विद्यार्थियों को केवल गृहकार्य देकर
  • परिवारों के साथ जुड़ाव पर भरोसा करके

9 : नेतृत्व के किस मॉडल में, बच्चों की सांस्कृतिक और भाषाई पृष्ठभूमि के आधार पर विद्यालयी प्रक्रियाओं को निर्मित करने की बात की जाती है

  • नवाचारी नेतृत्व
  • रणनीतिक नेतृत्व
  • संदर्भ-विशिष्ट नेतृत्व
  • अकादमिक नेतृत्व

10 : एक नेतृत्वकर्ता का वह गुण, जो प्रारंभिक स्तर पर सीखने के लिए उपयुक्त नहीं है

  • भरोसा पैदा करना
  • सत्तावादी होना
  • बच्चे को केंद्र में रखना
  • लचीली मानसिकता

11 : एक बच्चा अपने बाएँ हाथ से लिखता है और इस तरह काम करने में सहज है, उसे चाहिए

  • दाएँ हाथ से लिखने के लिए तैयार करना
  • चिकित्सा सहायता लेने के लिए भेजना
  • हतोत्साहित करना
  • उसकी पसंद को प्रोत्साहित करना

12 : बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान की अवधारणा…. बच्चों पर लागू होती है।

  • 3-9 वर्ष आयु वर्ग के
  • 6-14 वर्ष आयु वर्ग के
  • 5-13 वर्ष आयु वर्ग के
  • 3-10 वर्ष आयु वर्ग के

13 : बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान (एफ.एल.एन.) को सुदृढ़ करने हेतु विद्यालय नेतृत्व के लिए कौन-सा मॉडल उपयुक्त नहीं है?

  • परिवर्तनकारी नेतृत्व
  • अनुकूलक नेतृत्व
  • सहयोगात्मक नेतृत्व
  • अकादमिक नेतृत्व

14 : इनमें से कौन सी अवधारणा विद्यालयों में बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान (FLN) के नेतृत्व हेतु प्रासंगिक नहीं है?

  • बच्चे प्रेरित विद्यार्थी बनते हैं
  • समुदाय और अभिभावक के साथ संवाद नहीं करना
  • सांस्कृतिक रूप से उत्तरदायी शिक्षण संसाधनों के प्रभावी उपयोग को सक्षम करना
  • 3-9 वर्ष आयु वर्ग के लिए प्रासंगिक शिक्षाशास्त्र पर शिक्षकों की कोचिंग

15 : हितधारकों के साथ सहयोगात्मक प्रक्रिया….. प्रोत्साहित कर सकती हैं।

  • बच्चों की पढ़ने की आदतों को
  • शिक्षकों के बीच समय की पाबंदी को
  • विद्यार्थियों के बीच रचनात्मकता को
  • विद्यार्थियों के सीखने के प्रतिफलों हेतु साझा जवाबदेही को

16 : शिक्षकों को नयी जानकारी प्रस्तुत करनी चाहिए और इसे उन चीजों के साथ जोड़ना चाहिए, जिन्हें बच्चे

  • पहले से ही जानते हैं
  • नहीं जानते हैं
  • जानना नहीं चाहते हैं
  • सीखने के लिए प्रतिरोधी हैं

17 : 3-9 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों के लिए इनमें से कौन-सा शिक्षाशास्त्र प्रासंगिक नहीं है?

  • खेलपरक
  • सुकरात संवाद
  • गतिविधि आधारित
  • खिलौना आधारित

18 : एक नेतृत्वकर्ता 3-6 वर्ष के आयु वर्ग के बच्चों को के माध्यम से संलग्न कर सकता है।

  • व्याख्यान विधि
  • प्रदर्शन विधि
  • खेल आधारित शिक्षाशास्त्र
  • वैज्ञानिक प्रयोगों

19 : विद्यालय नेतृत्व कर सकता है –

  • बच्चों के बीच सुदृढ़ प्रारंभिक अधिगम क्षमता का निर्माण
  • विद्यालय प्रमुख के दिन-प्रतिदिन के प्रबंधन में मदद
  • विद्यालय प्रमुख में अनुशासन लाना
  • शिक्षक प्रबंधन में सहायता

20 : इनमें से कौन विद्यालय-परिवार-समुदाय के बीच एक प्रकार की भागीदारी नहीं है?

  • संचार करना
  • पालन-पोषण करना
  • सहभागिता करना
  • स्वयंसेवा (वालंटियर) करना

21 : इनमें से कौन शिक्षाशास्त्रीय नेतृत्व के ढांचे का हिस्सा नहीं है?

  • सीखने-सिखाने की प्रक्रियाओं को सक्षम करना
  • विज्ञान प्रयोगशालाओं में प्रयोगों का नेतृत्व करना
  • विज़न एवं पाठ्यचर्या लक्ष्यों को परिभाषित करना
  • हितधारकों के साथ नेटवर्क बनाना

22 : इनमें से किसे एक “प्रवेश द्वार कौशल” के रूप में माना जा सकता है जो औपचारिक विद्यालयी शिक्षा प्रक्रियाओं में बच्चे के प्रवेश को चिह्नित करता है?

  • प्रारंभिक पठन एवं लेखन कौशल
  • प्रारंभिक साक्षरता और संख्या ज्ञान कौशल
  • प्रारंभिक बोलने के कौशल
  • प्रारंभिक गणितीय कौशल

23 : निम्नलिखित में से कौन ‘लर्निंग एट होम’ (घर पर सीखना) की भागीदारी के प्रकार में शामिल नहीं है?

  • बच्चों की सीखने की ज़रूरतों, रुचियों और ताकतों के बारे में समझने में अभिभावक की मदद करना
  • यदि अभिभावक निरक्षर हैं, तो उनके साथ भेदभाव करना
  • शिक्षकों का अभिभावक के साथ चर्चा करना कि वे घर पर सीखने का माहौल कैसे बना सकते हैं
  • अभिभावक के साथ उन गतिविधियों की एक सूची साझा करना, जो वह सीखने में सहायता के लिए घर पर कर सकते हैं

24 : 3-9 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों के सीखने के आकलन हेतु उपयुक्त रणनीतियों में से एक होगी

  • बच्चों को निर्धारित दिनचर्या का पालन करने के लिए कहना
  • मासिक परीक्षण करना
  • चित्रात्मक जानकारी एकत्र करना
  • विविध गतिविधियां करते हुए बच्चों का अवलोकन करना

25 : नेतृत्वकर्ता पूर्व-प्राथमिक विद्यालय के शिक्षकों के साथ प्रभावी संबंध कैसे बना सकता है?

  • बच्चों की विकासात्मक आवश्यकताओं के बारे में शिक्षकों के साथ चर्चा करके और योजना बनाकर
  • शिक्षकों को एक सख्त दिनचर्या का पालन करने के लिए कहकर
  • विद्यालय खाते का विवरण साझा करके
  • शिक्षकों को 3-6 वर्ष की आयु के बच्चों को पढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करके

26 : विद्यालय में प्रातःकाल आगमन समय को बनाये रखने के लिए पहली कक्षा के शिक्ष को कौन-सी रणनीति अपनानी चाहिए?

  • देर से आने वालों को विद्यालय प्रमुख के कार्यालय में भेजना
  • बच्चों के लिए सामूहिक पठन जैसे नियमित आगमन कार्यों की शुरुआत करना, ताकि उन्हें समय पर आने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके
  • बच्चों को कुछ न कहना
  • आगमन समय के आधार पर अंक पाने और खोने की प्रणाली

27 : सहयोगात्मक नेतृत्व की विशेषताओं में से एक है –

  • बच्चों का संज्ञानात्मक विकास
  • बच्चों का सामाजिक-भावनात्मक विकास
  • साक्षरता और संख्यात्मक विकास
  • हितधारकों के बीच परस्पर विश्वास और सम्मान का निर्माण

28 : बच्चों की तर्क करने और दैनिक जीवन में सरल संख्यात्मक अवधारणाओं को प्रयोग करने की क्षमता को …..के भाग के रूप में माना जा सकता है।

  • प्रारंभिक साक्षरता
  • प्रारंभिक संख्या ज्ञान
  • प्रारंभिक श्रवण
  • प्रारंभिक मापन

29 : शिक्षाशास्त्रीय नेतृत्वकर्ताओं को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सभी विद्यालयी प्रक्रियाओं में …………

  • प्रधानाचार्य केंद्र में रहे
  • शिक्षक केंद्र में रहे
  • विद्यालय केंद्र में रहे
  • बच्चे केंद्र में रहें

30 : शिक्षाशास्त्रीय नेतृत्व सकारात्मक रूप से प्रभाव डालता है

  • नेतृत्वकर्ता के कल्याण पर
  • बच्चों की सीखने की क्षमता पर
  • शिक्षक व्यवहार पर
  • विद्यालय की चारदीवारी के निर्माण पर

31 : निम्नलिखित में से कौन एक अनुकूलक नेतृत्वकर्ता की विशेषता नहीं है?

  • लोगों की नहीं सुनना
  • भरोसा पैदा करना
  • प्रभाव डालना
  • कठिन और बहुआयामी चुनौतियों का सामना करना

32 : प्रभावी विद्यालय-अभिभावक के जुड़ाव में विश्वास करने वाले नेतृत्वकर्ताओं के यह कहने की अधिक संभावना है कि

  • केवल अंग्रेजी बोलने वाले अभिभावक ही अपने बच्चों की मदद कर सकते हैं
  • सभी अभिभावक अपने बच्चों का समर्थन कर सकते हैं
  • केवल कुछ अभिभावक ही अपने बच्चों का समर्थन कर सकते हैं
  • गरीब अभिभावक अपने बच्चों का समर्थन नहीं कर सकते

33 : एक नेतृत्वकर्ता को 3-9 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों के आकलन का आयोजन करना चाहिए

  • उन्हें वर्गीकृत करने के लिए
  • रैंक के अनुसार उन्हें रोक रखने के लिए
  • उनकी ग्रेडिंग के लिए
  • उनकी क्षमता, आवश्यकता और रुचियों का आकलन करने के लिए

34 : सहयोगात्मक नेतृत्व की विशेषताओं में से एक है –

  • हितधारकों के बीच परस्पर विश्वास और सम्मान का निर्माण
  • साक्षरता और संख्यात्मक विकास
  • बच्चों का सामाजिक-भावनात्मक विकास
  • बच्चों का संज्ञानात्मक विकास

35 : बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान के संदर्भ में वयस्क और बच्चे के बीच क्या संबंध होना चाहिए?

  • भयमुक्त और आनंदपूर्ण
  • शिक्षक-विद्यार्थी
  • भावनात्मक दूरी बनाए रखना
  • अनुशासन परक

36 : बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान (एफ.एल.एन.) को सुदृढ़ करने हेतु विद्यालय नेतृत्व के लिए कौन-सा मॉडल उपयुक्त नहीं है?

  • अनुकूलक नेतृत्व
  • अकादमिक नेतृत्व
  • परिवर्तनकारी नेतृत्व
  • सहयोगात्मक नेतृत्व

37 : कक्षा 3 बच्चों के लिए सीखने का एक महत्वपूर्ण चरण है, क्योंकि यह बदलाव का प्रतीक है।

  • ‘पढ़ने के लिए सीखना’ से ‘लिखने के लिए पढ़ना’ में
  • ‘लिखने के लिए सीखना’ से ‘सीखने के लिए पढ़ना’ में
  • ‘लिखने के लिए सीखना’ से ‘लिखने के लिए पढ़ना’ में
  • ‘पढ़ने के लिए सीखना’ से ‘सीखने के लिए पढ़ना’ में

38 : एक पाठ को सटीकता, गति, अभिव्यक्ति और समझ के साथ पढ़ने की क्षमता, जो बच्चों को पाठ से अर्थ निकालने के लिए सक्षम बनाना, कहलाता है।

  • कूटवाचन (डिकोडिंग)
  • पढ़ने की समझ
  • धाराप्रवाह पढ़ना
  • मौखिक भाषा विकास

39 : ‘संचार’ की भागीदारी के प्रकार में शामिल है

  • यह विश्वास करना कि अभिभावक बच्चों के सीखने को प्रोत्साहित नहीं कर सकते
  • अभिभावक से बात न करना
  • अभिभावक के साथ बच्चों के पोर्टफोलियो पर नियमित रूप से चर्चा करना
  • अभिभावक को सूचित करना कि उनके बच्चे कार्य-प्रदर्शन में सक्षम नहीं हैं

40 : उस पद को चिह्नित करें, जिसे विद्यालय में बच्चे की प्रगति में सीखने के अंतराल (लर्निंग गेप) को लगातार बढ़ने के रूप में समझा जा सकता है

  • सीखने की क्षमता में संचयी कमी
  • सीखने की क्षमता में कुल कमी
  • पढ़ने की क्षमता में कुल कमी
  • लिखने की क्षमता में संचयी कमी

41 : विद्यालय विकास योजना एक विद्यालय आधारित गतिविधि है, जिसे नेतृत्वकर्ता द्वारा.......... कार्यान्वित किया जाता है।

  • विद्यर्थियों, शिक्षकों, अभिभावक, समुदाय एवं विद्यालय प्रबंध समिति ( एस.एम.सी.) सदस्यों के साथ सहयोगात्मक रूप से
  • स्वतंत्र रूप से
  • शिक्षकों के साथ सामूहिक रूप से
  • विद्यार्थियों, शिक्षकों और अभिभावक के साथ सहयोगात्मक रूप से

निष्ठा FLN प्रशिक्षण मॉड्यूल 9 "बुनियादी संख्यात्मकता" (निष्ठा FLN)




1 : गणना की प्रक्रिया के दौरान विद्यार्थी….

  • क्रम में संख्या नामों को बोलता है
  • नंबर के नाम लिखता है
  • एक-एक करके वस्तुओं की और संकेत करता है
  • दो समूहों में वर्गीकृत करता है

2 : निम्नलिखित में से कौन एक गणितीय प्रक्रिया नहीं है?

  • दृश्य के रूप मे देखना
  • अनुमान
  • रटकर याद रखना
  • स्थानिक समझ

3 : निम्नलिखित में से कौन-सा युग्म एक दूसरे के पूरक नहीं हैं?

  • जोड़ और घटाव
  • घटाव और गुणा
  • जोड़ और गुणा
  • गुणा और भाग

4 : एक संग्रह की कार्डिनैलिटी को तुरंत समझने की क्षमता, आमतौर पर बिना गिनती के चार या पांच से अधिक नहीं को कहा जाता है? 

  • वर्गीकरण
  • सुबिटिज़ेस्न 
  • क्रमबद्धता
  • संरक्षण

5 : कितनी बार 4 जोड़ने से 16 प्राप्त होगा?

  • 20 बार
  • 64 बार
  • 4 बार
  • 16बार 

6 : वह प्रक्रिया जिसके द्वारा व्यक्तियों के बीच गणितीय प्रतीकों, संकेतों, आरेखों, आलेखों के माध्यम से सूचनाओं का आदान-प्रदान किया जाता है, …… के रूप में जाना जाता है।

  • भाषा अधिग्रहण
  • गणितीय संचार
  • गणितीय भाषा
  • पहली भाषा सीखना

7 : वस्तुओं के मिलान या जोड़ी बनाने की गतिविधियाँ किस पूर्व-संख्या कौशल के विकास में मदद करेंगी?

  • प्रत्येक से अलग पत्राचार
  • गिनती
  • क्रमबद्धता
  • वर्गीकरण

8 : निम्नलिखित में से किसमें एक-संग -एक संगतता शामिल नहीं है?

  • मेल मिलाना
  • समूहन
  • अक संग एक मिलाना
  • जोड़े बनाना

9 : वैन हील के ज्यामितीय विचारों के स्तर के अनुसार, दूसरा स्तर__है

  • अमूर्तिकरण
  • दृढ़ता
  • विजूलाइजेस्न
  • अनौपचारिक परिणाम

10 : गुणन सीखने/समझने में उपयुक्त क्रम क्या होना चाहिए?
i. जोड़ के संबंध में गुणन का वितरण नियम लागू करना
ii. गुणन का अर्थ समझना
iii. गुणन एल्गोरिथ्म सीखना
iv. गुणन की भाषा को समझना और प्रयोग करना

  • I, ii, iii, iv
  • iv, ii, iii, i
  • ii, iv, i, iii
  • iv, iii, i, ii

11 : निम्नलिखित में से कौन गणित अधिगम के आकलन का आयाम नहीं है?

  • प्रक्रियात्मक ज्ञान
  • संचार
  • गणितीय तर्क
  • गणित के प्रति स्वभाव

12 : निम्नलिखित में से किसमें दिए गए नियम के अनुसार वस्तुओं के संग्रह का क्रम शामिल नहीं है?

  • पैटर्निंग
  • व्यवस्था
  • श्रृंखला
  • वर्गीकरण

13 : संख्याओं को सीखने से पहले एक बच्चे को वस्तुओं को क्रमबद्ध करने में सक्षम होना चाहिए, क्योंकि क्रम…

  • संख्याओं पर संक्रियाओं के लिए आवश्यक है
  • संख्या नामों का पाठ करने के बारे में
  • गणना से संबंधित नहीं
  • संख्याओं को क्रम में रखने या क्रम में रखने से संबंधित

14 : प्रारंभिक अवस्था में गणित सीखने के दौरान, एक बच्चे से यह अपेक्षा नहीं की जाती है कि….

  • नंबर सेंस से पहले गिनना सीखें
  • गणितीय रूप से सोचें और तर्क के साथ निर्णय लें
  • गणितीय तकनीकों के लिए आवश्यक परम्पराओं को जानें
  • स्थान और आकृतियों को समझने के लिए शब्दावली का प्रयोग करें

15 : ‘शून्य’ की अवधारणा को निम्नलिखित में से किस संक्रिया के माध्यम से सर्वोत्तम रूप से प्रस्तुत किया जा सकता है?

  • योग
  • विभाजन
  • घटाव
  • गुणा

16 : संख्याओं को पढ़ाने का सही क्रम क्या है?
i.गणना के अवसर
ii. अंक लिखना
iii. अंक पढ़ना
iv. संख्या बोध विकसित करना

  • i, iv, ii, iii
  • i, ii, iii, iv
  • ii, i, iii, iv
  • i, iv, iii, ii

17 : वस्तुओं को वर्गीकृत करने के लिए आवश्यक आवश्यकता है:

  • आकृतियों के नाम पढ़ें
  • वस्तुओं को उनकी विशेषताओं से पहचानें
  • वस्तुओं के नाम जानें
  • वस्तुओं के नाम का पाठ करें

18 : संख्याओं का उपयोग किसी वस्तु की स्थिति का वर्णन करने के लिए किया जाता है जब उन्हें एक विशिष्ट क्रम में व्यवस्थित किया जाता है।

  • सौंदर्य विषयक
  • नाम के रूप मे उपयोग
  • कार्डिनल
  • क्रमवाचक

19 : निम्नलिखित में से कौन संख्या की समझ विकसित करने के लिए एक महत्वपूर्ण कौशल नहीं है?

  • संख्या नामों का बोलना
  • से बड़ी/ से छोटी जैसी संख्याओं की तुलना
  • दैनिक जीवन के कार्यो मे संक्रियाओं का अनुप्रयोग
  • मूल संचालन जैसे जोड़/घटाव

20 : सुबिटाइजिंग क्या है?

  • गिनने की क्षमता
  • वस्तुओं की संख्या को केवल उन्हें देखकर और वास्तव में प्रत्येक वस्तु को गिनने के बिना पहचानने की क्षमता।
  • वस्तुओं के बीच भेदभाव करने की क्षमता
  • 10 तक की संख्या के नाम बताने की क्षमता

21 : कब कहा जाता है कि एक बच्चे ने आकार और स्थान की समझ हासिल नहीं की है?

  • जब बच्चा स्थान और आकृतियों का वर्णन करने के लिए अपनी शब्दावली का उपयोग करता है
  • जब बच्चा पर्यावरण में वस्तुओं और उनकी ज्यामितीय विशेषताओं को देखता है
  • जब बच्चा किसी वस्तु और उसके आकार के बीच संबंध की खोज और संचार करता है
  • जब बच्चा बिना समझे घन, घनाभ, गोला आदि आकृतियों के नाम रटता है

22 : एक-संग-एक संगतता की समझ के निर्माण के लिए, बच्चों को … का अर्थ समझने की आवश्यकता नहीं है।

  • कई और कुछ
  • से अधिक/कम
  • संख्या निर्देश करने की प्रणाली
  • जीतने एक समूह मे हे उतने

23 : निम्नलिखित में से कौन-सा संख्याओं का प्रकार और उपयोगिता नहीं है?

  • नाम के रूप में उपयोग की गई संख्या
  • गणन संख्या
  • सौंदर्य संख्या
  • क्रमसूचक संख्या

24 : निम्नलिखित में से कौन-सा पूर्व-संख्या कौशल नहीं है:

  • वर्गीकरण
  • अंक जानना
  • क्रमबद्धता
  • एक-संग-एक संगतता

25 : निम्नलिखित में से कौन सा बुनयादी संख्यातमकता का घटक नहीं है?

  • संख्या के नाम याद रखना
  • डेटा संधारण
  • गणितीय संचार
  • पैटर्न्स

26 : निम्नलिखित में से कौन सा गुणन सीखने का सबसे महत्वपूर्ण पहलू है?

  • पहाड़ों का स्मरण और उनका पाठ
  • गुणन एल्गोरिथ्म सीखना और प्रशन हल करना
  • गुणन को ‘कितनी बार’ जोड़ने के रूप में समझना
  • गुणन तथ्यों को याद रखना

27 : निम्नलिखित में से कौन सा सत्य नहीं है?

  • सभी आयत समांतर होते चतुर्भुज हैं
  • सभी आयत वर्ग होते हैं
  • सभी वर्ग समांतर होते चतुर्भुज हैं
  • सभी वर्ग आयत होते हैं

28 : पूर्वशालीय शिक्षकों को निम्नलिखित में से किससे बचना चाहिए?

  • बच्चों को संक्रियाओं की समझ से पहले संख्याए लिखने को कहना
  • बच्चों की रोजमर्रा की गतिविधियों पर केन्द्रित होना
  • कक्षा में और घर पर गणितीय सोच को बढ़ावा देने वाली वस्तुओं को शामिल करना
  • गणितीय अवधारणाओं पर केंद्रित भाषा का प्रयोग करना

29 : यदि छात्र विभिन्न त्रिभुजों के गुणों का नाम बता सकते हैं लेकिन अभी तक उनके बीच संबंध नहीं देख पा रहे हैं, तो वे वैन हील ज्यामितीय सोच मॉडल के किस चरण में हैं?

  • विश्लेषण
  • औपचारिक परिणाम
  • दृढ़ता
  • अमूर्तता

30 : निम्नलिखित में से कौन एक बच्चे को प्रारम्भिक वर्षों में संख्यात्मकता में दक्ष बनाने का उद्देश्य नहीं है?

  • यह बाद के चरणों में सीखने के परिणामों को प्राप्त करने में मदद करता
  • यह दैनिक जीवन में तार्किक सोच और तर्क को विकसित करने में मदद करता है
  • यह उन्हें तेजी से गणना करने में मदद करता है
  • यह उन्हें संख्याओं के साथ कार्य करने में मदद करता है

31 : ‘सीमा के पास 12 गुलाब हैं। शिफा के पास 15 गुलाब हैं। किसके पास ज्यादा है और कितने से?’ उपरोक्त शब्द समस्या में किस घटाव संदर्भ का प्रयोग किया गया है?

  • तुलना
  • क्या बचा
  • पूरक जोड़
  • समूह से निकालना

32 : वस्तुओं के समूह के आकार को मापने और संप्रेषित करने के लिए निम्नलिखित में से किसका उपयोग किया जाता है?

  • उपरोक्त सभी
  • नाममात्र संख्या
  • कार्डिनल संख्या
  • क्रमसूचक संख्या

33 : अंक क्या होते हैं?

  • संख्याओं का आकार
  • संख्याओं के लिए प्रतीक
  • संख्या के नाम
  • संख्याओं का मान

34 : निम्नलिखित में से कौन सा परिदृश्य जोड़ और घटाव से संबंधित शब्द समस्याओं में शामिल नहीं है?

  • समूहों की तुलना
  • वस्तुओं का वर्गीकरण
  • समान मात्रा में वृद्धि या कमी
  • दो या दो से अधिक समूहों का संयोजन

35 : मापन शिक्षण के लिए निम्नलिखित में से कौन सा उपागम नहीं होना चाहिए?

  • तुलना की भाषा का उपयोग करने के अवसर प्रदान करें
  • गतिविधियों और अन्य अनुभवों को देना जिनमें माप शामिल है
  • शिक्षक द्वारा माप की मानक इकाइयों और उनके रूपांतरणों को सीधे पेश करना
  • बच्चों को माप के लिए अपनी इकाइयाँ निकालने दें

36 : निम्नलिखित में से कौन सा आकलन का उपयुक्त तरीका नहीं है?

  • आंकलन के लिए श्रव्य-दृश्य उपकरण का प्रयोग
  • बच्चों के सीखने के स्तर के अनुसार एक व्यक्तिपरक परीक्षा
  • स्व-मूल्यांकन का उपयोग
  • याद रखने पर आधारित एक परीक्षा

37 : निम्नलिखित में से कौन डेटा प्रबंधन का एक घटक नहीं है?

  • डेटा का निर्माण
  • डेटा का संग्रहण
  • डेटा की व्याख्या
  • डेटा का प्रतिनिधित्व

38 : जिन चीजों में कुछ विशेषताएं समान हैं, उन्हें एक साथ रखने से … की क्षमता में वृद्धि होती है।

  • संख्या समझ
  • क्रमबद्धता
  • वर्गीकरण
  • गणितीय संचार

39 : संख्यात्मकता की मजबूत बुनियाद सुनिश्चित करने के लिए बच्चों का मूल्यांकन किया जाना चाहिए….

  • प्रश्न पत्र के माध्यम से, जिसमें पाठ्यपुस्तकों से अधिक प्रश्न हैं
  • सतत रचनात्मक/अनुकूली विधियों के माध्यम से
  • साप्ताहिक और मासिक परीक्षणों के माध्यम से
  • वार्षिक रूप से राज्य/जिला प्राधिकरण द्वारा

40 : निम्नलिखित में से कौन-सी मूलभूत संख्यात्मक कौशल को बढ़ाने के लिए एक उपयुक्त शैक्षणिक प्रक्रिया नहीं है?

  • गणित में कविताओं, तुकबंदी, कहानियों, पहेलियों का उपयोग करना
  • जोड़-तोड़ का उपयोग
  • बहुत सारे अभ्यास प्रश्न हल करवाना
  • घरेलू भाषा में निर्देश

बलरामपुर में प्रभारी शिक्षकों को वेतन देने का कोर्ट ने दिया आदेश

 सिद्ध नाथ पाण्डे व अन्य द्वारा डाली गई याचिका 6571/2024 के वकील अर्पित वर्मा की 20 अगस्त को पहली ही सुनवाई में लखनऊ खंडपीठ ने सभी को प्रधा...