सिद्ध नाथ पाण्डे व अन्य द्वारा डाली गई याचिका 6571/2024 के वकील अर्पित वर्मा की 20 अगस्त को पहली ही सुनवाई में लखनऊ खंडपीठ ने सभी को प्रधानाध्यापक पद का वेतन व एरियर देने का आदेश BSA बलरामपुर को दिया। इस मामले के निस्तारण के लिए BSA बलरामपुर को मात्र 6 सप्ताह का समय कोर्ट द्वारा दिया गया है।
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तुगलकी फरमान, शिक्षक परेशान
परिषदीय विद्यालयों के विद्यार्थियों की उपस्थिति 15 फरवरी से ऑनलाइन ही मान्य होगी, मगर जिले में अभी तक शिक्षकों ने प्रेरणा एप पर Login ही नहीं की। इससे 15 फरवरी से विद्यार्थियों की उपस्थिति ऑनलाइन करना संभव नहीं लग रहा है।
जिले में 3446 परिषदीय विद्यालय संचालित हैं। इनमें से 2777 विद्यालयों को 5212 टैबलेट उपलब्ध कराएं गए हैं। विभाग की ओर से सभी टैबलेट का 14 रजिस्टरों का डिजिटलाइजेशन किया जाना था। मगर जिले में इसकी प्रक्रिया काफी धीमी चल रही है। अधिकांश टैबलेटों पर अभी तक प्रेरणा एप का डाउन लोड ही नहीं किया गया है।
वहीं महानिदेशक स्कूल शिक्षा कंचन वर्मा ने सभी बीएसए को आदेश जारी कर 15 फरवरी से विद्यार्थियों की उपस्थिति ऑनलाइन दर्ज कराने के निर्देश दिए हैं। इससे परिषदीय प्राथमिक, उच्च प्राथमिक, कंपोजिट व कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों में छात्रों की रियल टाइम उपस्थिति अपडेट करनी होगी। इसी के साथ मध्याह्न भोजन की भी डिजिटल पंजिका ही मान्य होगी।
आदेश में कहा गया कि है कि शिक्षक एक अप्रैल से सितंबर 2024 तक स्कूल के दिनों में बच्चों की उपस्थिति सुबह आठ से नौ बजे के बीच और एक अक्तूबर से 31 मार्च 2025 तक सुबह नौ से दस बजे तक टैबलेट/ स्मार्टफोन से दर्ज करेंगे। वहीं एमडीएम के लाभार्थी, मेन्यू, खाद्यान्न आदि का विवरण भी प्रतिदिन भोजन के बाद अनिवार्य रूप से अपडेट करेंगे। इसके लिए एक अप्रैल से 31 सितंबर 2024 तक दोपहर 12 बजे और एक अक्तूबर से 31 मार्च 2025 तक 1.30 बजे का समय तय किया गया है।
मगर विभागीय आंकड़ों के अनुसार मल्लावां ब्लॉक पर प्रेरणा एप डाउन लोड करने वालों की संख्या शून्य है। वहीं अन्य ब्लॉकों में एक से 10 प्रतिशत है। ऐसे में 15 फरवरी से विद्यार्थियों की रियल टाइम उपस्थिति दर्ज करना बहुत ही मुश्किल होगा। बीएसए विजय प्रताप सिंह ने बताया कि सभी खंड शिक्षा अधिकारियों को पत्र जारी कर विभागीय निर्देशानुसार डिजिटलाइजेशन का कार्य पूर्ण कराने के निर्देश दिए गए हैं।
शिक्षकों का कहना है कि जब तक विभाग द्वारा सिम उपलब्ध नही कराया जाता वो इसका संचालन करने में असमर्थ हैं। क्योंकि खुद के ID से सिम लेने से आगे चलकर समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है, क्योंकि ट्रांसफर होने के बाद टैबलेट सिम सहित अगले को हस्तांतरित करना होगा और किसी भी अनहोनी होने पर उसको समस्या का सामना करना पड़ेगा। उसको यह भी कहना है कि एक निश्चित समय में ही उपस्थिति दे पाना संभव नही क्योंकि अर्ली वार्निंग सिस्टम के तहत बुलावा टोली भेजी जाती है और कभी कभी बच्चों को टोली, अभिभावक और SMC सदस्यों की सहायता से स्कूल तक लाने में 1 घंटे से ऊपर लग जाता है, ऐसे में समय की बाध्यता होने पर वह अनुपस्थित हो जायेगा।
ऑफलाइन खत्म होने नहीं देंगे और ऑनलाइन भी करवाएंगे। क्या करे बेचारा शिक्षक?
महानिदेशक, स्कूल शिक्षा कंचन वर्मा की ओर से इस व्यवस्था को सख्ती के साथ लागू करने के निर्देश दिए गए हैं। प्रदेश में कुल 1.32 लाख परिषदीय स्कूलों और 749 कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों में इसे लागू किया जा रहा है। ऑनलाइन उपस्थिति दर्ज होने के बाद प्रधानाध्यापक उपस्थिति का शत-प्रतिशत सही ब्यौरा ही भेज सकेंगे। वह अधिक छात्र संख्या नहीं दिखा सकेंगे। मिड डे मील प्रतिदिन कितने विद्यार्थी खा रहे हैं, इसकी भी सही जानकारी मिल सकेगी। छात्रों की उपस्थिति का ब्यौरा शैक्षिक सत्र में एक अप्रैल से 30 सितंबर तक सुबह आठ बजे से नौ बजे के बीच अनिवार्य रूप से भेजना होगा। वहीं एक अक्टूबर से 31 मार्च तक सुबह नौ बजे से 10 बजे के बीच अनिवार्य रूप से भेजना होगा। इसी तरह MDM का ऑनलाइन ब्यौरा शैक्षिक सत्र में एक अप्रैल से 30 सितंबर तक दोपहर 12 बजे तक देना होगा। – वहीं एक अक्टूबर से 31 मार्च तक यह ब्यौरा दोपहर 1:30 बजे तक देना होगा।
स्कूलों में उपस्थिति व MDM सहित 12 तरह के सभी रजिस्टर ऑनलाइन किए जा रहे हैं। वहीं शिक्षकों की उपस्थिति के बारे व में अभी कोई दिशा-निर्देश नहीं दिए गए हैं। बीते वर्ष नवंबर में सात जिले जिसमें लखनऊ, उन्नाव, हरदोई, लखीमपुर खीरी, रायबरेली, सीतापुर व श्रावस्ती में छात्रों के साथ-साथ शिक्षकों की भी आनलाइन उपस्थिति दर्ज कराने की व्यवस्था की गई थी लेकिन शिक्षकों ने इसका विरोध किया। बेसिक शिक्षा विभाग बैकफुट पर आ गया। यही कारण है कि अभी छात्रों की उपस्थिति आनलाइन दर्ज – कराने की व्यवस्था की गई है और शिक्षकों को छोड़ दिया गया है।
बेसिक शिक्षा विभाग का डिजिटल होना शिक्षकों के साथ मात्र एक छलावा साबित होता है। इससे पहले मानव संपदा पर सभी शैक्षिक अभिलेख व प्रमाण पत्र ऑनलाइन कर दिए गए हैं। बावजूद इसके हर बार ट्रांसफर इत्यादि के लिए कम से कम 40 पन्नो का फाइल बना कर शिक्षकों को जमा करना पड़ता है। और ऐसा एक बार नही लगभग हर साल करना पड़ता है। कोई भी चीज ऑनलाइन तो हो जाती है लेकिन अधिकारी उसको ऑफलाइन भी मांगते हैं। विभागीय सूचनाएं आज भी बार बार व्हाट्सएप ग्रुप पर भेजने के साथ साथ BRC पर भी जाकर हार्डकॉपी जमा करना पड़ता है। जिसमें MDM की सूचना और रसोइया उपस्थिति व शिक्षामित्रों की उपस्थिति प्रमुख हैं। शिक्षकों को दोहरा काम करना पड़ता है और परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
अगर देते हैं कार्यक्रम के लिए विद्यालय की चाबी, तो हो जाइए सावधान !
अलीगढ़। सीडीओ आकांक्षा राना ने शुक्रवार को ब्लॉक जवां के ओडीएफ प्लस घोषित साथा गांव का निरीक्षण किया। यहां के प्राथमिक विद्यालय साथा में तेरहवीं का कार्यक्रम हो रहा था। इस पर सीडीओ ने प्रभारी प्रधानाध्यापक शिव कुमार शर्मा को निलंबित करने के लिए बीएसए को निर्देशित किया । जिला पंचायत राज अधिकारी को प्रधान के विरूद्ध कार्रवाई के निर्देश दिए गए।
स्कूल में 58 विद्यार्थी मिले, बृहस्पतिवार को 116 छात्र आए थे। रसोईया सरोज देवी ने बताया कि रोजाना लगभग 60 बच्चों का भोजन बनता है। इस पर सीडीओ ने कहा कि प्रतीत होता है कि मध्यान्ह भोजन में फर्जी उपस्थिति दर्ज की जा रही है। विद्यालय को प्राप्त कंपोजिस्ट ग्रांट में वित्तीय अनियमितता मिली। विद्यालय परिसर में पांच पेड़ काटे गये हैं। NPELG कक्ष में निर्मित पुस्तकालय भी संचालित नहीं मिला।
ऐसा अक्सर देखने को मिलता है कि गांव वालों तथा ग्राम प्रधान के दबाव में आकर प्रधानाध्यापक विद्यालय में कार्यक्रम की अनुमति दे देते हैं और अगर किसी अधिकारी की जांच हो जाती है को कार्यवाही का सामना भी करना पड़ता है।
क्या हुआ शिक्षकों के पहचान पत्र (I-card) के पैसे का?
कोरोना काल के दौरान विभाग द्वारा सभी शिक्षकों के लिए पहचान पत्र (I-card) बनाने के लिए धन आवंटित किया गया था। प्रति शिक्षक ₹50 के दर से धन आवंटित किया गया था। उस दौरान अधिकतर काम ऑनलाइन हो रहे थे तो शिक्षकों से ऑनलाइन फोटो और डाटा मांगा गया था और अधिकतर शिक्षकों ने दिया भी था। परंतु मात्र कुछ ही शिक्षकों का पहचान पत्र बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा जारी किया गया। बाकी के शिक्षकों का पहचान पत्र आजतक न तो बन पाया और न ही उसके लिए आवंटित पैसों का कुछ अता पता है।
इतने वर्ष गुजर जाने के बाद भी अधिकारियों ने एक बार भी सुध नहीं ली। ऐसे में जब कहीं अन्य जगह बेसिक के शिक्षकों को ड्यूटी लगती है तो हर बार उनको खंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय से टेंपरेरी पहचान पत्र बनवाना पड़ता है। और कई बार अपने शिक्षक होने का प्रमाण देने के लिए ज्वाइनिंग लेटर दिखाना पड़ता है, जिससे शिक्षकों को काफी परेशानी होती है।
मेहनती शिक्षक: एक अनूठी कहानी
शिक्षकों का कार्यक्षेत्र एक ऐसा क्षेत्र है जो मेहनत, समर्पण, और उत्साह का खेत है। इसमें से एक शिक्षक है जो अपने उदाहरणीय मेहनत और संघर्ष के लिए जाने जाते हैं, और उनका यह कार्यक्षेत्र उन्हें एक अद्वितीय व्यक्ति बनाता है।
श्रीमान राजेश शर्मा, जो एक उच्चतम स्तर के विद्यालय में गणित के शिक्षक के रूप में कार्यरत हैं, वे अपनी अनूठी मेहनत और शिक्षा के प्रति अपने अदम्य समर्पण के लिए पहचाने जाते हैं।
राजेश शर्मा का सफर शुरू हुआ एक साधारित गाँव से, जहां उनके परिवार ने गरीबी के बावजूद उन्हें शिक्षा के महत्व को समझाया। राजेश ने अपनी पढ़ाई को सराहनीय स्तर पर पूरा किया और गणित में अपनी रुचि को बढ़ाते हुए उन्होंने अपने लक्ष्य का पीछा किया।
इसके बाद, उन्होंने अध्यापन में अपनी कदम रखी और एक उच्चतम स्तर के विद्यालय में गणित के शिक्षक के रूप में अपनी करियर की शुरुआत की। राजेश शर्मा की मेहनत और उनके विद्यार्थियों के प्रति उनका समर्पण ने उन्हें एक अनूठे शिक्षक के रूप में उच्च मानक हासिल करने में सफल बना दिया।
राजेश शर्मा की शिक्षा के प्रति उनका विशेष दृष्टिकोण है। वे सिर्फ पाठ पढ़ाने वाले नहीं हैं, बल्कि वे अपने छात्रों को गणित की दुनिया में रुचि बढ़ाने के लिए प्रेरित करते हैं। उनकी पाठशाला उन्हें सिर्फ गणित के सिद्धांतों को सिखाने का स्थान नहीं है, बल्कि यह एक स्थान है जहां राजेश छात्रों को अच्छे नागरिक बनने के लिए भी प्रेरित करते हैं।
राजेश शर्मा का एक और विशेषता यह है कि वे अपने छात्रों के साथ संवाद बनाए रखते हैं। उनकी पाठशाला में छात्रों का सकारात्मक योगदान है और उन्हें सुनने और समझने का मौका मिलता है। इससे राजेश न केवल गणित के विषय में उनके छात्रों के साथ संबंध बना सकते हैं, बल्कि उन्हें उनके जीवन के सभी पहलुओं में मार्गदर्शन करने में भी सहारा मिलता है। राजेश शर्मा का यह संवादप्रिय दृष्टिकोण उनके छात्रों को अपनी बातें साझा करने और समस्याओं का समाधान ढूंढ़ने के लिए प्रेरित करता है, जिससे उनका शिक्षा में सकारात्मक परिणाम होता है।
एक दिन, राजेश शर्मा ने अपने छात्रों को गणित के अलावा भी जीवन के महत्वपूर्ण सिख सिखाने का निर्णय लिया। उन्होंने एक उदाहरण दिया और कहा, "गणित केवल कक्षा में ही नहीं, बल्कि हमारे जीवन में भी एक तरह का सिद्धांत है। समस्याएं हमारे सामने आती हैं, लेकिन हमें उन्हें हल करने का तरीका सीखना है।"
इस प्रेरक कथन ने छात्रों की सोच में बदलाव लाया। उन्होंने गणित के माध्यम से समस्याओं का समाधान निकालने की कला सिखाई और इसे उनके जीवन में अपनाने की प्रेरणा दी।
राजेश शर्मा का यह महत्वपूर्ण सिद्धांत छात्रों को जीवन के हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने के लिए प्रेरित करता है। उनका उदार मानवीय दृष्टिकोण और मेहनत करने की भावना उनके छात्रों को अद्वितीय बनाता है।
राजेश शर्मा का यह अनूठा तात्कालिक शिक्षक बनने का अहसास उनके छात्रों को भी स्वीकार्य हो गया है। उनके विद्यार्थी उन्हें गुरु और मार्गदर्शक के रूप में नहीं, बल्कि एक सहयोगी और मित्र के रूप में भी देखते हैं।
इस अनूठे शिक्षक की मेहनत ने उन्हें उच्चतम स्तर की शिक्षा प्रदान करने में सफलता दिलाई है। राजेश शर्मा ने अपने छात्रों को बस गणित के सिद्धांतों से ही नहीं, बल्कि जीवन के अद्वितीय पहलुओं से भी रूबरू कराया है।
उनकी मेहनत और समर्पण ने उन्हें शिक्षा के क्षेत्र में एक उत्कृष्ट शिक्षक बना दिया है, जिससे उन्हें समाज में एक महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त होता है। राजेश शर्मा की अनूठी शिक्षा की प्रणाली ने उनके छात्रों को न केवल गणित में अच्छे परिणाम प्रदान किए हैं, बल्कि उन्हें जीवन के हर क्षेत्र में सफल बनने के लिए भी तैयार किया है।
राजेश शर्मा की यह अनूठी शिक्षा का सफलता सूत्र है, जो उनके छात्रों को सिर्फ विद्या का ज्ञान नहीं, बल्कि जीवन के मूल्यों और सीखों को समझने का भी मौका देती है।
राजेश शर्मा का यह महत्वपूर्ण संदेश है कि शिक्षक का कार्यक्षेत्र सिर्फ पाठ पढ़ाने का ही नहीं, बल्कि छात्रों को जीवन के साथ में जोड़ने और सुझाव देने का भी है। उनकी मेहनत और उनका समर्पण छात्रों को न केवल अच्छे छात्र बनने के लिए प्रेरित करता है, बल्कि उन्हें सफल और नैतिक नागरिक बनने के लिए भी प्रेरित करता है।
इसके अलावा, राजेश शर्मा ने अपनी पाठशाला को एक सहयोगी और साथी की भूमिका में स्थापित किया है। वह छात्रों के साथ खुले मन से बातचीत करते हैं और उन्हें अपनी दुनिया को समझने के लिए प्रेरित करते हैं। इससे उनके छात्रों को एक मित्रप्रेमी और विश्वासी शिक्षक का अहसास होता है, जिससे उनका शिक्षा में भरपूर रूप से भागीदारी होती है।
राजेश शर्मा की यह मेहनत और समर्पण उन्हें शिक्षा के क्षेत्र में एक नेतृत्व भूमिका में स्थापित करने में सफल बना देती है। उनकी पाठशाला एक ऐसी स्थान है जहां शिक्षा को अधिकारिकता के साथ मिश्रित किया जाता है और छात्रों को अपनी रचनात्मकता को स्वीकार करने के लिए प्रेरित किया जाता है।
इस अनूठे शिक्षक के किस्से से हमें यह सिखने को मिलता है कि शिक्षा का मकसद सिर्फ परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त करना नहीं होता, बल्कि छात्रों को जीवन के साथ में संबंधित बनाना होता है। शिक्षक अगर मेहनत, समर्पण, और उत्साह के साथ कार्य करता है, तो छात्र भी उसी मेहनत और उत्साह के साथ अपने लक्ष्यों की प्राप्ति में सफल हो सकते हैं।
राजेश शर्मा की मेहनत, समर्पण, और शिक्षा में उनकी अनूठी दृष्टिकोण से सजग छात्रों को तैयार करने में एक महत्वपूर्ण प्रमाण है। उनकी उदार शिक्षा ने छात्रों को सिर्फ कक्षा में ही नहीं, बल्कि उनके जीवन में भी सफल बनाने की कला सिखाई है। उनका यह मिशन निरंतर चला रहा है और उनके छात्र उन्हें गुरु और मार्गदर्शक के रूप में नहीं, बल्कि अपने जीवन के सच्चे साथी के रूप में भी मानते हैं।
इस अनूठे शिक्षक की कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि शिक्षा का मतलब सिर्फ साक्षरता प्राप्त करना नहीं है, बल्कि यह एक ऐसी प्रक्रिया है जो हमें जीवन के हर पहलुओं में समर्थ बनाती है। राजेश शर्मा ने यहाँ तक सिखाया है कि शिक्षा का उद्देश्य सिर्फ अकादमिक सफलता प्राप्त करना नहीं होता, बल्कि यह छात्रों को समझदार, समर्पित, और सकारात्मक नागरिकों में बदलने की दिशा में भी काम करती है।
शिक्षक की भूमिका समझाने के लिए हमें राजेश शर्मा के जैसे उदाहरणों की आवश्यकता है ताकि हम समाज में शिक्षा के प्रभाव को सही तरीके से समझ सकें। राजेश शर्मा ने अपने छात्रों को शिक्षा के माध्यम से न केवल ज्ञान प्रदान किया है, बल्कि उन्हें जीवन के मूल्यों, सिद्धांतों, और सीखों से भी अवगत कराया है।
राजेश शर्मा की उपेक्षित शिक्षा की एक और महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि वे अपने छात्रों को सुनते हैं और उनके समस्याओं का समाधान ढूंढ़ने में सहायक होते हैं। इससे राजेश न केवल गणित के विषय में उनके छात्रों के साथ संबंध बना सकते हैं, बल्कि उन्हें उनके जीवन के सभी पहलुओं में मार्गदर्शन करने में भी सहारा मिलता है।
राजेश शर्मा की अनूठी शिक्षा ने उन्हें शिक्षा के क्षेत्र में एक प्रशंसनीय और अनूठे शिक्षक के रूप में स्थापित किया है। उनका संघर्ष, मेहनत, और छात्रों के प्रति समर्पण ने उन्हें एक अद्वितीय स्थान प्रदान किया है, जिससे उनका प्रभाव समाज में दृढ़ है।
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शिक्षकों का निलंबन और बहाली हुआ टेढ़ी खीर, जानें क्या है नया नियम?
बेसिक शिक्षा विभाग (U.P.Basic) में अब समुचित सबूतों और गंभीर आरोपों के आधार पर ही शिक्षकों व कर्मचारियों का निलंबन हो सकेगा। बिना दंड के बहाली भी नहीं हो सकेगी। एवं निलंबन और बहाली प्रक्रिया पर काफी हद तक बीएसए BSA की मनमानी नहीं चलेगी। इसके लिए महानिदेशक स्कूल शिक्षा ने BSA को निर्देश दिए है कि निलंबन प्रकरणों की समीक्षा कर कार्रवाई सुनिश्चित करें।
महानिदेशक स्कूल शिक्षा कंचन वर्मा ने 6 फरवरी को सभी BSA को पत्र भेजकर निर्देशित किया है कि यदि शिक्षक व कर्मचारी पर गंभीर आरोप हों और समुचित आधार हो तभी निलंबित किया जाए। BSA की ओर से की गई अनुशासनिक कार्रवाई के विश्वेषण में संज्ञान में आया है कि निलंबन के बाद बिना किसी दंड ( दीर्घ एवं लघु दंड) अधिरोपित किए बिना बहाल कर दिया जाता है। इससे यह प्रतीत होता है कि बिना आधार के निलंबन किया जा रहा है। निलंबन उपरांत शासनादेश, निर्देश का पालन नहीं किया जा रहा है। जिससे बहाल कर दिया जाता है। यह स्थिति कदापि उचित नहीं है। निलंबन प्रकरणों की समीक्षा कर कार्रवाई करना सुनिश्चित करें।
Meaning of Niyuthsa
Meaning of Niyuthsa is Warrior
Meaning of Niyutsa= warrior
नियुत्सा का अर्थ है योद्धा
नियुत्सा = योद्धा
बलरामपुर में प्रभारी शिक्षकों को वेतन देने का कोर्ट ने दिया आदेश
सिद्ध नाथ पाण्डे व अन्य द्वारा डाली गई याचिका 6571/2024 के वकील अर्पित वर्मा की 20 अगस्त को पहली ही सुनवाई में लखनऊ खंडपीठ ने सभी को प्रधा...
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