महानिदेशक, स्कूल शिक्षा कंचन वर्मा की ओर से इस व्यवस्था को सख्ती के साथ लागू करने के निर्देश दिए गए हैं। प्रदेश में कुल 1.32 लाख परिषदीय स्कूलों और 749 कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों में इसे लागू किया जा रहा है। ऑनलाइन उपस्थिति दर्ज होने के बाद प्रधानाध्यापक उपस्थिति का शत-प्रतिशत सही ब्यौरा ही भेज सकेंगे। वह अधिक छात्र संख्या नहीं दिखा सकेंगे। मिड डे मील प्रतिदिन कितने विद्यार्थी खा रहे हैं, इसकी भी सही जानकारी मिल सकेगी। छात्रों की उपस्थिति का ब्यौरा शैक्षिक सत्र में एक अप्रैल से 30 सितंबर तक सुबह आठ बजे से नौ बजे के बीच अनिवार्य रूप से भेजना होगा। वहीं एक अक्टूबर से 31 मार्च तक सुबह नौ बजे से 10 बजे के बीच अनिवार्य रूप से भेजना होगा। इसी तरह MDM का ऑनलाइन ब्यौरा शैक्षिक सत्र में एक अप्रैल से 30 सितंबर तक दोपहर 12 बजे तक देना होगा। – वहीं एक अक्टूबर से 31 मार्च तक यह ब्यौरा दोपहर 1:30 बजे तक देना होगा।
स्कूलों में उपस्थिति व MDM सहित 12 तरह के सभी रजिस्टर ऑनलाइन किए जा रहे हैं। वहीं शिक्षकों की उपस्थिति के बारे व में अभी कोई दिशा-निर्देश नहीं दिए गए हैं। बीते वर्ष नवंबर में सात जिले जिसमें लखनऊ, उन्नाव, हरदोई, लखीमपुर खीरी, रायबरेली, सीतापुर व श्रावस्ती में छात्रों के साथ-साथ शिक्षकों की भी आनलाइन उपस्थिति दर्ज कराने की व्यवस्था की गई थी लेकिन शिक्षकों ने इसका विरोध किया। बेसिक शिक्षा विभाग बैकफुट पर आ गया। यही कारण है कि अभी छात्रों की उपस्थिति आनलाइन दर्ज – कराने की व्यवस्था की गई है और शिक्षकों को छोड़ दिया गया है।
बेसिक शिक्षा विभाग का डिजिटल होना शिक्षकों के साथ मात्र एक छलावा साबित होता है। इससे पहले मानव संपदा पर सभी शैक्षिक अभिलेख व प्रमाण पत्र ऑनलाइन कर दिए गए हैं। बावजूद इसके हर बार ट्रांसफर इत्यादि के लिए कम से कम 40 पन्नो का फाइल बना कर शिक्षकों को जमा करना पड़ता है। और ऐसा एक बार नही लगभग हर साल करना पड़ता है। कोई भी चीज ऑनलाइन तो हो जाती है लेकिन अधिकारी उसको ऑफलाइन भी मांगते हैं। विभागीय सूचनाएं आज भी बार बार व्हाट्सएप ग्रुप पर भेजने के साथ साथ BRC पर भी जाकर हार्डकॉपी जमा करना पड़ता है। जिसमें MDM की सूचना और रसोइया उपस्थिति व शिक्षामित्रों की उपस्थिति प्रमुख हैं। शिक्षकों को दोहरा काम करना पड़ता है और परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
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