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Meaning of Niyuthsa

 Meaning of Niyuthsa is Warrior

 Meaning of Niyutsa= warrior 

नियुत्सा का अर्थ है योद्धा

नियुत्सा = योद्धा

शिक्षकों पर हुआ हमला, मचा बवाल

    रायबरेली। अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन करने लखनऊ गए शिक्षकों की बस पर ऊंचाहार में कुछ लोगो ने पथराव कर दिया। अचानक पथराव होने से बस में अफरा तफरी मच गई। इसमें कई शिक्षकों को चोट आई। कोतवाली पहुंचे शिक्षकों ने मामले की शिकायत कीl

    यह मामला रविवार देर शाम का है। लखनऊ में शिक्षकों का प्रदर्शन था। इसमें कौशांबी जनपद से बड़ी संख्या में शिक्षक बस से प्रदेश मुख्यालय पर प्रदर्शन करने गए थे। जहां से वापस लौट रहे शिक्षकों की बस शहर मुख्यालय के पास रूकी थी, वहां पर रोडवेज बस में सवार कुछ लोगों से उनका झड़प हो गया। उसके बाद निजी बस पर सवार शिक्षक अपने गंतव्य के लिए रवाना हो गए।



    इस बीच रोडवेज बस पर सवार लोग ऊंचाहार कोतवाली क्षेत्र के सवैया तिराहा के पास पहुंचे और उन्होंने शिक्षकों की बस को रोक लिया और उस पर ताबड़तोड़ पथराव शुरू कर दिया। कुछ शिक्षकों के साथ मारपीट भी की गई। अचानक हुए हमले से परेशान शिक्षक सकते में आ गए। इस हमले में करीब सात शिक्षक घायल हो गए। इसके बाद किसी तरह जान बचाकर शिक्षक कोतवाली पहुंचे।

    मौके पर पहुंची कोतवाली पुलिस कुछ युवकों को पकड़कर कोतवाली ले आई। उसके बाद कोतवाली पुलिस ने दोनों पक्षों में समझौता करा दिया। सुलह समझौता के बाद शिक्षक कौशांबी के लिए रवाना हो गए। कोतवाल आदर्श सिंह ने बताया कि दोनों पक्षों में मामूली विवाद हुआ था, जिसके बाद दोनों ने आपस में सुलह-समझौता कर लिया है। इसलिए इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की गई है।


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क्या अब नहीं काम करेगा पेटीएम, क्या होगा खाते में पड़े पैसों का?

 नई दिल्ली। पेटीएम की बैंकिंग सेवाओं पर आरबीआई के प्रतिबंध के बाद पेटीएम पेमेंट्स बैंक बड़ी मुश्किलों में फंस सकता है एजेंसियां इसके खिलाफ मनी लॉन्ड्रंग की जांच कर सकती हैं। सूत्रों का दावा है कि पेटीएम पेमेंट्स बैंक के पास ऐसे लाखों खाते थे, जिनमें KYC (अपने ग्राहक को जानो) नहीं की गई थी। एक हजार से अधिक उपयोगकर्ताओं के खाते एक ही पैन कार्ड पर चल रहे थे।

सूत्रों का कहना है कि इन खातों के जरिये पेटीएम पेमेंटस बैंक में सैकड़ों करोड़ रुपये के संदिग्ध लेनदेन का पता चला है। RBI ने इसी आधार पर शिकंजा कसा है। राजस्व सचिव संजय मल्होत्रा का कहना है, पेटीएम पेमेंट्स बैंक में मनी लॉन्ड्रिंग की आशंका है। यदि फंड की हेराफेरी का कोई नया आरोप सामने आया, तो कंपनी के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय जांच करेगा ।

RBI ने Paytm पर 20 जून, 2018 से कोई भी नया खाता और वॉलेट खोलने पर प्रतिबंध लगा दिया था। हालांकि, दिसंबर, 2018 में प्रतिबंध हटा लिया गया था। इसके बाद भी कंपनी में अनियमितता ओं की जानकारी आती रही। RBI और ऑडिटर्स दोनों की जांच में पाया गया कि नियमों का पालन नहीं हो रहा है। गौरतलब है कि पेटीएम पेमेंट्स बैंक के पास करीब 35 करोड़ ई-वॉलेट हैं। इनमें से करीब 31 करोड़ निष्क्रिय हैं। लाखों खातो में KYC अपडेट नहीं है।



पेटीएम चलेगा, पर बैंक नहीं–

आरबीआई के सारे प्रतिबंध पेटीएम पेमेंट्स बैंक पर हैं। इसलिए, पेटीएम (Paytm QR, बीमा, कर्ज वितरण, साउंडबॉक्स और कार्ड मशीन आदि) पर इसका असर नहीं होगा। पेमेंट्स बैंक से जो भी कारोबार जुड़े हैं, वही प्रभावित होंगे।

दूसरे भुगतान एप काइस्तेमाल करें कारोबारी–

कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स के राष्ट्रीय महासचिव प्रवीन खंडेलवाल ने कहा, वित्तीय दिक्कतों से बचने के लिए व्यापारी लेनदेन के लिए पेटीएम के जगह अन्य भुगतान प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करें तो बेहतर होगा।

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वायरल खबर के संबंध में विवेकानंद आर्य का आया स्पष्टीकरण

      वायरल हो रहे के खबर के संबंध में TSCT के अध्यक्ष विवेकानंद आर्य का स्पष्टीकरण आ गया है। जिसमें उन्होंने बताया कि यह आरोप एकदम ही निराधार है और राजनैतिक खेला करने के लिए लगाया गया है। उन्होंने यह भी बताया कि श्रद्धांजलि समारोह जिला टीम अपने स्तर से करती है और इस हेतु किसी से कोई पैसे नहीं मांगे गए। बल्कि कुछ परिवारों ने इस हेतु स्वयं आगे आ कर सहयोग किया था, परंतु उनकी भी धनराशि लौटा दी गई है क्योंकि इसका खर्च जिला स्तर की टीम खुद ही उठाना चाहती थी। महिला द्वारा लगाया गया आरोप पूर्ण रूप से गलत है।




       इस संबंध में अन्य दिवंगत शिक्षकों के स्वजनों का वीडियो भी डाला गया है जिसमे उन्होंने पैसे मांगे जाने के आरोप को गलत बताया है। और साथ ही एक दिवंगत शिक्षक की पत्नी का मैसेज भी डाला गया है जिसमे उन्होंने आरोप को गलत बताया है। ऐसे में सही कौन और गलत कौन इसको लेकर शिक्षकों में उहापोह की स्थिति बनी हुई है।


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TSCT पर लगा धन उगाही का आरोप, जाने क्या है पूरा मामला।

      बरेली। दिवंगत शिक्षकों के स्वजन को सम्मानित करने और उनकी मदद करने के नाम पर कार्यक्रम किया गया, जिसके लिए दिवंगत शिक्षकों के स्वजन से भी कसूल कर ली गई। शिक्षकों को जानकारी होने पर मामला तूल पकड़ने लगा। बाद में दिवंगत शिक्षकों के  स्वजनों को धनराशि लौटा दी गई। हालांकि श्रद्धांजलि सभा करने वाले शिक्षकों ने कहा कि उन लोगों ने संगठन से दिवंगत शिक्षकों के स्वजनों को 55-55 लाख रुपए की सहयोग राशि भी दिलाई है।

     स्मार्ट सिटी के ऑडिटोरियम में टीचर्स सेल्फ केयर टीम बरेली की 28 जनवरी को शिक्षक संगोष्ठी एवं श्रद्धांजलि सभा हुई थी । जिसमें दिवंगत शिक्षक रतन गंगवार, सत्यप्रकाश गंगवार, प्रभात, सुरेश पाल, हरीश गंगवार को जनप्रतिनिधियों, अधिकारियों तथा शिक्षकों ने श्रद्धांजलि अर्पित की थी। जिसकी बाद दिवंगत चार शिक्षकों के स्वजनों को 55-55 लाख की धनराशि दिलाई गई। लेकिन इस हेतु दिवंगत शिक्षकों के स्वजनों से 50-50 हजार रुपए की वसूली की गई।



     जिससे नाराज दिवंगत शिक्षक की पत्नी ने व्हाट्सएप ग्रुप पर अपनी नाराजगी जताई तथा इससे संबंधित ऑडियो भी वायरल किए। यह भी बताया गया कि दी गई राशि को बीमा व एफडी कराने पर भी जोर डाला जा रहा। संगठन पर आरोप लगाने पर टीएससीटी की राष्ट्रीय अध्यक्ष विवेकानंद आर्य ने बरेली कार्यकारणी को धनराशि लौटने के निर्देश दिए।


     इस मामले को अन्य शिक्षक संगठनों ने गलत बताया। वहीं अन्य शिक्षकों में रोष की स्थिति बनी हुई है। सभी लोग इस बात से परेशान है कि अगर इस तरह से धन उगाही की जा रही है तो एक तो यह गलत है ऊपर से उसका विरोध करने पर धन वापस लेने की भी धमकी भी दी जा रही, जो नाकाबिल ए बर्दाश्त है। लोगों का कहना है कि विवेकानंद आर्य को इस मामले की जांच कर दोषियों को निष्कासित करने की जगह सहयोग राशि वापस लेने वाली बात उनके ऊपर भी प्रश्न खड़ा करती है। ऐसे में TSCT से लोगों का भरोसा खत्म हो सकता है और लोग नहीं चाहते कि शिक्षक हित वाली इस संस्था से लोगों का भरोसा उठे।


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शिक्षकों को किससे मिला एक बार फिर झूठा आश्वासन?

    लंबे समय से नियुक्ति के लिए आंदोलन कर रहे 69000 शिक्षक भर्ती के शेष अभ्यर्थियों के प्रतिनिधिमंडल की बृहस्पतिवार को बेसिक शिक्षा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) संदीप सिंह से मुलाकात हुई। वार्ता में अभ्यर्थियों के मामले के जल्द निस्तारण की उम्मीद बढ़ गई है। मंत्री ने अधिकारियों को उनकी समस्या के समाधान का प्रस्ताव तैयार करने और जल्द मुख्यमंत्री से मुलाकात का आश्वासन दिया। भर्ती में 6800 चयन सूची के अभ्यर्थियों का नेतृत्व कर रहे विजय यादव से मंत्री, बेसिक शिक्षा के प्रमुख सचिव डॉ. MKS सुंदरम समेत कई अधिकारियों के साथ वार्ता हुई। विजय यादव ने बताया कि विभागीय मंत्री ने आश्वस्त किया है कि जल्द इस मामले में निर्णय लेकर रास्ता निकाला जाएगा। प्रतिनिधिमंडल में अभ्यर्थी ममता प्रजापति, अमरेंद्र सिंह पटेल, कृष्णा चंद्र व विक्रम भी शामिल रहे।











शिक्षकों से सबंधित हाईकोर्ट का क्या है नया आदेश?

      लखनऊ। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने एक अहम आदेश में कहा कि टीईटी पास किए बिना प्राथमिक शिक्षकों का प्रमोशन न हो। कोर्ट ने कहा कि राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (NCTE) की 11 सितंबर 2023 की अधिसूचना के तहत निर्णय लेने के बाद ही प्राथमिक शिक्षकों की प्रोन्नति की जाए। इस अधिसूचना के तहत प्राथमिक और उच्च प्राथमिक बेसिक स्कूलों के सहायक व प्रधान अध्यापक/अध्यापिका के पदों पर प्रमोशन के लिए TET को अनिवार्य किया गया है। हालांकि, कोर्ट ने स्पप्ट किया है कि यह आदेश अर्ह (TET पास) अध्यापकों की प्रोन्नति में बाधा न माना जाए। इस संबंध में की गई कार्यवाही इस याचिका के परिणाम के अधीन होगी।



     यह आदेश न्यायमूर्ति एआर मसूदी और न्यायमूर्ति बृजराज सिंह की खंडपीठ ने हिमांशु राणा व अन्य की याचिका पर दिया। याचिका में उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा ( अध्यापक) सेवा नियमावली 1981 के नियम 18 की वैधता को उस सीमा तक चुनौती दी गई है जहां तक NCTE की अधिसूचना के तहत उसमें टीईटी को अनिवार्य करने का संशोधन नहीं किया गया है। याचियों का कहना था कि प्रोन्नति के लिए प्राथमिक शिक्षकों को TET पास होना जरूरी है। इसके बावजूद नियम 18 के तहत TET पास न करने वाले शिक्षकों को प्रोन्नत किया जा रहा है। कोर्ट ने कहा यह मामला गौर करने योग्य है। कोर्ट ने मामले में केंद्र ,राज्य सरकार समेत सभी पक्षकारों को तीन हफ्ते में जवाब दाखिल करने का आदेश दिया।

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शिक्षामित्रों को लेकर चुनावी खेल शुरू, क्या होगा सरकार का अगला कदम?

     लखनऊ : शिक्षामित्रों को एक बार और अपने मूल विद्यालय में वापसी का मौका मिलेगा। राज्य सरकार जल्द शिक्षामित्रों की यह पुरानी मांग पूरा करने जा रही है। प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा ने इसके लिए विभाग से प्रस्ताव मांगा है। इससे पहले पांच साल पहले शिक्षामित्रों को मूल विद्यालय में वापसी का मौका दिया गया था। स्कूलों में शिक्षकों की कमी को देखते हुए 2001 में बेसिक स्कूलों में शिक्षामित्रों की नियुक्ति की गई थी। शिक्षामित्र के पद पर स्थानीय युवक-यु्वतियों को मानदेय पर तैनात किया गया। समय -समय पर शिक्षामित्रों की नियुक्ति होती रही और मानदेय भी बढ़ा। 2014 में तत्कालीन सपा सरकार ने सहायक शिक्षक के पद पर शिक्षामित्रों का समायोजन कर उनका तबादला दूसरे ब्लॉक में कर दिया।2017 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर उनको फिर शिक्षामित्र के पद पर वापस भेज दिया गया। हालांकि, उनका तबादला वापस पुराने स्कूलों में नहीं किया गया। कम मानदेय में दूसरे ब्लॉक में जाने की समस्या आई तो सरकार ने 2018 में एक मौका दिया कि जो अपने विद्यालय में आना चाहें, वे आ सकते हैं। काफी संख्या में शिक्षामित्र वापस अपने विद्यालय में आ गए, लेकिन करीब 15 हजार शिक्षक वापस नहीं आए। इसकी वजह यह थी कि आंदोलन और दोबारा कोर्ट में मुकदमा चलने की वजह से इनको उम्मीद थी कि वे शिक्षक बन सकते हैं तब से वे दूसरे ब्लॉक में ही काम कर रहे हैं। शिक्षामित्रों के संगठन इनको वापस मूल विद्यालय में भेजने और महिला शिक्षामित्रों को मूल विद्यालय या ससुराल वाले विद्यालय में भेजने की मांग कर रहे हैं। इसे देखते हुए ही पिछले दिनों हुई बैठक में निर्णय लिया गया है कि शिक्षामित्रों को एक मौका और दिया जाएगा।




किस वजह से लिया गया यह निर्णय?

लंबे समय से यह मांग हो रही है कि जो शिक्षामित्र 2018 में अपने मूल विद्यालय में वापस नहीं आ पाए थे, उनको एक मौका और दिया जाए। अभी उनको 10 हजार रुपये मानदेय मिलता है। ऐसे में 25-30 किलोमीटर दूर दूसरे ब्लॉक में पढ़ाने जाने के लिए उनको किराया खर्च करना होता है। इस बात को सरकार ने समझा। साथ ही एक दूसरा पहलू यह भी है कि हाल में लोकसभा चुनाव भी आ रहा है। मूल विद्यालय में जाने, मानदेय बढ़ोतरी सहित कई मुद्दों को लेकर शिक्षामित्रों के संगठन आंदोलन की भी रणनीति बना रहे हैं। उससे पहले ही उनकी यह बड़ी मांग पूरी करके मरहम लगाया जा सकता है।


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शिक्षकों को बदनाम करने की तैयारी एक बार फिर, जानें क्या है मामला

 कड़ाके की ठंड के बाद स्कूल खुलते ही शिक्षा विभाग सख्ती की तैयारी में है। देर से स्कूल पहुंचने वाले शिक्षक व कम उपस्थिति वाले विद्यालयों पर कार्रवाई की जाएगी। इसे लेकर एक फरवरी से सभी परिषदीय विद्यालयों का सघन चेकिंग अभियान चलाया जाएगा। बेसिक शिक्षा अधिकारी ने इसके लिए 23 टीमें गठित कर दी है। यह टीमें एक साथ विकास खंडवार विद्यालयों का निरीक्षण करेंगी। शासन के इस नए आदेश से देर से स्कूल आने वालें शिक्षकों में हड़कंप मचा है। इसके साथ ही मदरसों की भी जांच की जाएगी। 

                    

एक फरवरी से शुरू होगा अभियान: शासन ने विद्यालय में छात्रों की उपस्थिति बढ़ाने और समय से शिक्षक विद्यालय में पहुंच रहे हैं या नहीं इसकी जांच के लिए एक फरवरी से परिषदीय स्कूलों व मदरसों की सघन चेकिंग के आदेश शासन ने दिये हैं। यह चेकिंग अभियान एक फरवरी से शुरू होगा और पूरा महीना चलेगा। अभियान के दौरान टीमों द्वारा स्कूलों व मदरसों में शिक्षकों की उपस्थिति, पंजीकृत छात्रों के सापेक्ष उपस्थिति, वहां बनाए जा रहे एमडीएम की गुणवत्ता व अन्य बिन्दुओं की जांच की जाएगी।

ब्लॉक वार चलेगा अभियान : विद्यालयों की जांच के लिए विकास खंडवार अभियान चलाया जाएगा। साथ ही सात जिला समन्वयकों की भी टीम लगाई गई है। इन टीमों को निरीक्षण के दिन ही चेक किए जाने वाले विकास खंड व विद्यालय की सूचना दी जाएगी। सभी टीमें एक साथ रवाना होंगी।

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कड़ाके की ठंड से दो और बच्चे बेहोश, जाने क्या हुआ

   एक ओर जहां मौसम विभाग ने भारी शीतलहर एवं कड़ाके की ठंड का अलर्ट जारी कर रखा है तो वहीं दूसरी तरफ स्कूल खुल जाने से बच्चे स्कूल जाने को मजबूर हैं। ठंड में बच्चे ठिठुरते हुए स्कूल पहुंच रहे हैं। बुधवार को कक्षा चार का एक छात्र और कक्षा आठ की एक छात्रा ठंड से बेहोश हो गई। उनका जिला अस्पताल में उपचार चल रहा है। 


   भदोही के प्राथमिक विद्यालय घोरहां में कक्षा चार का छात्र सोनू और कंपोजिट विद्यालय कलापुर की कक्षा आठ की छात्रा एकता वर्मा को ठंड लग गई। इससे दोनों बेहोश हो गए। बीएसए भूपेंद्र नारायण सिंह ने कहा कि बच्चों की देखरेख के लिए खंड शिक्षा अधिकारी को लगाया गया है।

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बडी खबर-इंचार्ज पद पर तैनात बेसिक शिक्षकों को एरियर का भुगतान

    आज़ इंचार्ज हेडमास्टर की याचिका में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में योजित कंटेम्प्ट केस में बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा कोर्ट के आदेश...