नेता मंत्रियों के रोज नए आ रहे अंधविश्वास भरे बयानों का नतीजा कभी कभी बहुत बुरा होता है। उसका नतीजा आपके सामने है:-
उत्तर प्रदेश के अमरोहा जिले के गजरौला थाना क्षेत्र के गाँव अहरौला का युवक सतवीर छत पर खड़ा होकर फोन सुन रहा था। तभी वह हाईटेंशन लाइन की चपेट में आ गया। 11000 वोल्ट के करंट से युवक बुरी तरह से झुलस कर बेहोश हो गया। परिजन झुलसे युवक को इलाज के लिए डाक्टर के पास ले जाने की बजाय अंधविश्वास के चलते गोबर में दबा दिया।
काफी देर तक जब युवक के शरीर में कोई हरकत नहीं हुई तो उसे गोबर से निकाल कर मालिश की गयी। इस पर भी बात नहीं बनी तो दोबारा गोबर में दबाने की तैयारी चल रही थी। इसी बीच पुलिस मौके पर पहुंची। शव को पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल भिजवाया गया। पुलिस अधीक्षक अजय प्रताप सिंह ने कहा, "शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजकर वैधानिक कार्रवाई की जाएगी, इसके अलावा तहरीर मिलने के आधार पर कार्रवाई की जाएगी।"
काफी देर तक जब युवक के शरीर में कोई हरकत नहीं हुई तो उसे गोबर से निकाल कर मालिश की गयी। इस पर भी बात नहीं बनी तो दोबारा गोबर में दबाने की तैयारी चल रही थी। इसी बीच पुलिस मौके पर पहुंची। शव को पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल भिजवाया गया। पुलिस अधीक्षक अजय प्रताप सिंह ने कहा, "शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजकर वैधानिक कार्रवाई की जाएगी, इसके अलावा तहरीर मिलने के आधार पर कार्रवाई की जाएगी।"
समय पर इलाज मिलता तो शायद बच जाता सतवीर:-
वहीं पीजीआई के वरिष्ठ डाक्टर आशुतोष सिंह ने बताया कि यदि इस युवक को समय पर उचित इलाज मिल जाता तो इसकी जान बच भी सकती थी। क्योंकि करंट लगने का इलाज पूरी तरह से अलग होता है लेकिन अंधविश्वास की वजह से परिजनों ने इस युवक को मौत के मुंह में धकेल दिया।
वहीं पीजीआई के वरिष्ठ डाक्टर आशुतोष सिंह ने बताया कि यदि इस युवक को समय पर उचित इलाज मिल जाता तो इसकी जान बच भी सकती थी। क्योंकि करंट लगने का इलाज पूरी तरह से अलग होता है लेकिन अंधविश्वास की वजह से परिजनों ने इस युवक को मौत के मुंह में धकेल दिया।
डॉ० आशुतोष आगे कहते हैं, "हाई वोल्टेज करंट से शरीर को बहुत तेज झटका तो लगता है, इसके साथ ही शरीर जल भी जाता है। इसके लिए पूरे शरीर पर जले का इलाज करना होता है। इसके अलावा झटके की वजह से कई बार सांस थम जाती है। इसलिए ऑक्सीजन देनी पड़ती है।"
हमारे देश में ये कोई एकलौता केस नहीं है। अक्सर लोग तमाम बीमारियों का इलाज झाड़फूंक या अन्य तरह से करते हैं जैसे साँप काटने, चेचक निकलने या गले में गिल्टी निकलने का।
इस तरह से मरीजो को सही इलाज नहीं मिल पाता और कभी कभी तो उनकी मौत भी हो जाती है।
हमारे देश में ये कोई एकलौता केस नहीं है। अक्सर लोग तमाम बीमारियों का इलाज झाड़फूंक या अन्य तरह से करते हैं जैसे साँप काटने, चेचक निकलने या गले में गिल्टी निकलने का।
इस तरह से मरीजो को सही इलाज नहीं मिल पाता और कभी कभी तो उनकी मौत भी हो जाती है।